aaj ये क्यों सोचता हूँ
आज क्यों ये तमन्ना करता हूँ
कि कोई फिर
मेरे पास आएगा
कुछ कहेगा
पर जानता हू सभी अपनी ही जिंदगी में व्यस्त हैं
वो आज फिर ना आई
आज फिर मन उदास था
उसके बिना आज फिर सब सूना था
सभी हस्ते थे मैं भी हसता हूँ
अपने आंसू छूपता हूँ
सबके सामने ना आने पाए पर मुश्किल है उसके बिना
वो आज फिर नही थी
December 08, 2007
September 07, 2007
बेक़रार
उनसे मुलाक़ात का इंतज़ार हैं,
होतिहैं शाम तो सुबह का इंतज़ार है
सुबह होने पर फिर दिल बेक़रार है
होतिहैं शाम तो सुबह का इंतज़ार है
सुबह होने पर फिर दिल बेक़रार है
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