विवादित और निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन इस साल अगस्त में भारत में रहने के विचार से आईं थीं। लेकिन भारत सरकार ने हाथ खड़े करते हुए उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। तसलीमा के वेबसाइट के हवाले से ये भी बात सामने आई कि उन्हें इसके कारण भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा। “अगस्त महीने में भारत में लौटने का उनका मकसद भारत में रहने का था। उनकी कोशिश थी कि उन्हें दिल्ली में ठिकाना मिल जाए। अगल दिल्ली नहीं तो कोलकाता ही सही। लेकिन भारत सरकार ने उनकी अपील ठुकरा दी।” अपनी वेबसाइट पर तसलीमा ने कुछ इस तरह लिखा। इस समय तसलीमा नसरीन अमेरिका में रह रहीं हैं।
वेबसाइट के हवाले से अगर बात करें तो भारत सरकार ने उनके भारत में रहने की परमिट इस शर्त पर बढ़ाई थी कि वो भारत में नहीं रहेंगी और उन्हें भारत से बाहर जाने के लिए मजबूर किया। अगस्त में भारत सरकार ने तसलीमा की रिहायशी परमिट 6 महीने के लिए फरवरी तक बढ़ाई थी। तसलीमा भारत में स्थाई नागरिकता की मांग काफी समय से करती आ रही हैं। लेकिन भारत सरकार इस मुद्दे पर अब तक कोई भी निर्णय नहीं ले सकी है।
तसलीमा 1994 से निर्वासित जीवन व्यतीत कर रही हैं। जब उन्हें उनके विवादित उपन्यास लज्जा के चलते अतिवादियों के विरोध के चलते बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। इस उपन्यास में तसलीमा ने बड़ी ही बेबाकी से मुस्लिम महिलाओं की हालत पर कलम उकेरी थी। भारत में तसलीमा 2000 से रह रही थीं। वो आज भी सिटी ऑफ जॉय कोलकाता को अपना घर मानती हैं। कोलकाता से उन्हें 2 साल पहले दोबारा अतिवादियों के चलते कोलकाता छोड़ना पड़ा था।
October 14, 2009
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