भाई साहब, अगर कोई किसी के मां बहन पे उंगली उठाए या गाली दे क्या उसे चुप रहना चाहिए, क्या बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए लिए अगर संजय गांधी ने कुछ सख्त कदम उठाए को क्या गलत किया। बात अगर आपको याद हो तो ये वही समय था जब अराजकता को मुंहतोड़ जवाब देते हुए संजय का प्रताप सिर चढ़ कर बोल रहा था। सभी गाड़ियां समय पर थीं। जनसंख्या विस्फोट रोकने के लिए से कई कदम उठाए गए। पर संजय की मुहिम सफलता को कोई भी प्लान भी ना सका। जहां तक गुंडई की बात है तो आप ही बताएं जब एमर्जेंसी लगी थी और सभी पार्टियां जब जयनारायण के झंडे के अंदर आ कर हर जगह अराजकता फैला रखी थी। याद करें वो समय जब जीटी रोड को बनने में सिर्फ चंद महीने लगे थे। कहीं भी चोरी चमारी नहीं होती थी। उन्हीं के भाई राजीव जी ने भी माना था अगर सरकार १०० रुपए सैंक्शन करती है तो आम आदमी के पास सिर्फ १ रुपए ही पहुंचता है। इस सब बातों को अगर देखा जाए उस काल समय में शायद ही कोई घोटाले का केस सामने आया हो। हर पैसा आम लोगों तक पहुंचता था। तो अगर वरुण के अंदर भी वही जीन है तो वो तो सांप्रदायिक कहां से हो गए। अगर वो हिंदू अधिकार की बात करते हैं तो वो सांप्रदायिक कहां से हो गए। याद करें तो विकास के इस दौड़ में अगर में १३ दिन, १३ महीने और ५ साल की बीजेपी सरकार ना होती तो शायद हम आज भी विकास में कहीं पीछे रहते। शायद आपको पता हो कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में और यहां तक सभी पिछड़े इलाकों में आज भी कांग्रेस राजीव इंदिरा के नाम पर वोट मांगते हैं। वहां के लोगों को तो पता ही नहीं कि इंदिरा और राजीव अब दुनिया में हैं ही नहीं। हमारे पास के संसदीय क्षेत्र चंदौली की अगर बात करें तो वहां के ब्राह्मण समाज के लोग यहां तक कहते हैं कि अगर कोई ब्राह्मण है तो वो कांग्रेस को ही वोट दे नहीं तो वो अपने बाप का औलाद ही नहीं।
अब कहां साहब जी अगर पत्रकार बंधु इन सब बातों को रिकॉर्ड कर सकें और चैनल प्रिंट पत्रकारिता के पटल पर ला सकें तो मानें। वरना एक पार्टी को सांप्रदायिक कहना कहां की समझदारी है। अगर दम हो तो बेनकाब करें और दिखाएं कि कैसे कि जाति विशेष के साथ वोट की राजनीति करती है। कैसे बसपा वोट की राजनीति करती है। कैसे कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती है। क्या है गांधी का वंश और कैसे हैं गांधी के असली वंशज हाशिए पर जब गांधी का इतना ही ख्याल है तो जब गांधी की नीलामी हो रही थी तो कहां थे ये तथाकथित गांधी के वंशज। हो सकता है कि थोड़ा कड़ा हूं पर झमा प्रार्थी भी हूं कि अगर कुछ शब्द अगर मैने कड़े इस्तमाल किए हो।
March 24, 2009
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