अस्सी के घाट पे
गंगा के किनारे
बैठे थे हम उन यारो के संग
वो साथ नही
पर
उनका एहसास है
दिखता है पानी का चक्कर
गिरते धारे बनते भंवर
उन भंवरों मे समाहित होती
लाखों जिंदगियां
उन जिंदगियों को पलती गंगा
मछलियां कछुवे कीड़े मकौड़े
सबकी पनाहगाह बनती ये
फिर भी अकेले हू यहां
वो साथ नही
पर
उनका एहसास है
January 03, 2008
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