चुनाव फिर से सिर पर हैं। फिर से लोगों के सामने राजनैतिक पार्टियां अपने घोषणा पत्र के साथ आ गई हैं। किसी को राम मंदिर सुहा रहा है तो किसी को मराठा मानुष का कीड़ा काटा है। कहीं जय हो नारा है तो कोई किसी को बूढ़े की संज्ञा देता है। चांद पर पहुंचे हुए आज 24 साल हो गए, लेकिन आज भी हमारे नेता जो मुद्दा लेकर पहली लोकसभा के लिए जनता का दरवाजा कटकटाया था, वही मुद्दा आज भी वो रो गा कर पंद्रहवीं लोकसभा में भी घुसने की तैयारी कर रहे हैं।
April 11, 2009
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