जब भी चूम लेता हूँ उन हसीन आँखों को,
सौ चिराग़ अँधेरे में झिलमिलाने लगते हैं !
लमहे भर को यह दुनिया ज़ुल्म छोड़ देती है !
लम्हे भर को सब पत्थर मुस्कराने लगते हैं !
जिन्दगी चलती रही काँटों पर अंगारों पर !
तब मिली इतनी हसीं इतनी सुबुक चाल तुझे !
August 10, 2010
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