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Varanasi, UP, India
Working with an MNC called Network 18, some call it news channel(IBN7), but i call it दफ्तर, journalist by heart and soul, and i question everything..

July 25, 2009

ये जीत का जश्न है।

दस साल पहले पाकिस्तान ने छिपे तौर पर भारत के भरोसे पर डाका डाला। हमारे मुल्क के सीने पर शान से तनी खड़ी करगिल की चोटियों पर कब्जा जमा लिया। ये सब कुछ इतनी खामोशी से हुआ कि भारत की फौज और सरकार भी चौक गई। लेकिन हिंदुस्तानी फौजियों की बहादुरी और बलिदान के बाद हमने अपना करगिल दुश्मनों के हाथों से वापस छीन लिया। करगिल पर भारतीय सेना की जीत के दस साल पूरे हो चुके हैं। इस जंग को जीतने के लिए हमारे जवानों ने जान की बाजी लगा दी। अपने हौसले और जज्बे से उन्होंने दुश्मन को धूल चटा दी

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरने वालों का यही आखिरी निशां होगा…


गौरव का दिन, उस हौसले और जज्बे को याद करने का दिन, जिसने दुनिया भर में हमारा सिर किया ऊंचा, करगिल की पहाड़ियों में, हमारे सैनिकों ने चटाई दुश्मनों को धूल, बहादुरी की वो दास्तान, सुना रही हैं चोटियां, क्योंकि इन्हीं चोटियों पर बहा था, शहीदों का खून, विजय गाथा को बता रही हैं वादियां, क्योंकि यहीं दुश्मन हुआ था नेस्तनाबूद, सिर्फ गोले, बारूद और तोप से नहीं अपने जज्बे से हमारे वीरों ने दिया, दुश्मन को शिकस्त

करगिल पर हमारी जीत के दस साल पूरे हो गए। दस साल पहले जहां सिर्फ गोलियों की आवाज गूंज रही थी, वहां आज आजादी के तराने गाए जा रहे हैं। हमारे बहादुर जवानों ने करगिल से दुश्मनों को भगाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। पांच सौ से ज्यादा सैनिक शहीद हुए।

ये जीत का जश्न है। ये दुश्मन पर हमारे फौलादी इरादों की फतह का जश्न है। दस साल पहले करगिल की जंग में हमारे वीर जवानों ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। इस जंग में हमने देश के 527 सैनिकों को खो दिए। जबकि 1327 जवान शहीद हुए थे।

हमने फक्र हैं अपने वीर जवानों और देश पर मर मिटने वाले शहीदों पर। मैं भारतीय सेना को बधाई देना चाहता हूँ जिन्होंने शहीद मनोज पाण्डेय की याद में इतना अच्छा वार मेमोरियल बनाया। मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था जब मै शहीद मनोज पाण्डेय की माँ से आज मिला।

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