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Varanasi, UP, India
Working with an MNC called Network 18, some call it news channel(IBN7), but i call it दफ्तर, journalist by heart and soul, and i question everything..

December 30, 2010

सभी सिकंदर हैं... दुनिया जीतने का माद्दा है इनमें

साल 2010 का अंत क्रिकेट के लिए गौरवांवित करने वाला रहा। खासतौर से भारतीय क्रिकेट के लिए। इस साल जहां भारतीय क्रिकेट टीम टेस्ट क्रिकेट के शीर्ष पायदान पर पहुंची वहीं इस साल कई रिकॉर्ड बने और टूटे। न्यूजीलैंड को घर में धोने के बाद जब धोनी के धुरंधर दक्षिण अफ्रीकी मैदान पर आगाज करने के लिए उड़ान भर रहे थे तो उन्हे इस बात का इल्म था ही कि उनका सामना तेज और बाउंसी पिचों से होने जा रहा है। भारतीय क्रिकेट के लिए कभी भी दक्षिण अफ्रीकी दौरा फूलों को सेज नहीं रहा है। चलिए ज्यादा बातें हो रही हैं। मैं मुद्दे पर आता हूं। बात हो रही है भारतीय टीम के दक्षिण अफ्रीकी दौरे की जो कि 16 दिसंबर 2010 से शुरू हो रहा है। तारीख इस लिए लिख रहा हूं कि आने वाली पीढ़ी को याद रहे कि ये समय था जब भारत अपने चरम पर था। दूसरे टेस्ट में 87 रनों की जीत से टीम इंडिया ने सीरीज में 1-1 की बराबरी कर ली है। इस टेस्ट में यूं तो कई हीरो रहे। जहां जहीर और श्रीसंत ने अपनी तेज गेंदबाजी की धार और महीन की वहीं हरभजन ने अपनी फिरकी का जाल ऐसा फैलाया कि स्मिथ की नंबर दो टीम औंधे मुंह गिर पड़ी। मैच में तो एक बार अफ्रीकी कप्तान अपना आपा तक खो बैठे और श्रीसंत को बाठ पढ़ाने लगे। शायद वो ये भूल गए थे कि इस टीम को पाठ पढ़ाने का दम सिर्फ सचिन तेंदुलकर में ही है। जो कि इस वक्त खुद श्रीसंत के ही साथ हैं। टेस्ट में शतकों के अर्धशतक लगा चुके सचिन आज भी उतने ही सौम्य बन हुए हैं जैसे हम उन्हें अपने बचपन से देखते आ रहे हैं(कई लोग इससे अपनी जवानी के दिन भी याद रहे होंगे)। सीरीज में 1-0 से पीछे चल रही टीम इंडिया ने इस जीत के साथ जता दिया कि नंबर वन का खिताब उसे तुक्के से नहीं मिला है। सेंचुरियन में हार के बाद ये जीत हिंदुस्तान के लिए इसलिए भी बहुत मायने रखती क्योंकि यहां न तो विकेट उसके मुताबिक थी और न ही मौसम। क्या आपको जो जीता वोही सिकंदर का वो गाना याद आता है.... वो सिकंदर ही दोस्तों कहलाता है...हारी बाजी को जीतना हमें आता है...ये सच है। हारी बाजी को जीत में बदलने वाले को सिकंदर कहते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम ने इससे पहले भी बड़े कई किले फतह किए हैं...और यकीनन इसके बाद भी कामयाबी के झंडे गाड़ेगी...लेकिन किंग्समीड डरबन में 87 रनों की जीत इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज रहेगी...कप्तान महेंद्र सिंह धोनी जब 26 दिसंबर 2010 को टॉस के लिए उतरे थे तो, हालात पूरी तरह से टीम इंडिया के खिलाफ थे.....दुनिया की नंबर एक टीम को अब तक दक्षिण अफ्रीकी जमीन पर सीरीज जीतने में कामयाबी नहीं मिली...सेंचुरियन में बड़ी हार के बाद सपने तार-तार होते दिख रहे थे...दक्षिण अफ्रीका ने टीम इंडिया के स्वागत के लिए डरबन के तेज विकेट पर हरी घास की पट्टी बिछा दी...गेंदबाजों की फौज के अगुवा जहीर खान की फिटनेस को लेकर सवाल थे...मुसीबत पर मुसीबत ये कि, ऐसे हालात में धोनी टॉस हार गए और टीम इंडिया को पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी...लेकिन अगले 96 घंटे में जो हुआ, उसे क्रिकेट प्रेमी कभी नहीं भूलेंगे..
दक्षिण अफ्रीका से ये जीत छीनना आसान नहीं था...पहले बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया सिर्फ 205 रन पर आउट हो गई....जवाब में जहीर की अगुवाई में गेंदबाजों की फौज ने पलटवार किया और स्मिथ एंड कंपनी को 131 रनों पर निपटा दिया...मैच का नतीजा अब दूसरी पारी को तय करना था....लेकिन वीरेंद्र सहवाग, मुरली विजय, राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर सस्ते में निपट गए....दारोमदार पूरी तरह से लक्ष्मण के कंधों पर था और हैदराबाद के इस बल्लेबाज ने पांच घंटे तक अफ्रीकी खिलाड़ियों की आग उगलती गेंदों को ठंडा कर दिया...
लक्ष्मण की पारी देखकर क्रिकेट के जानकारों ने यहां तक कह दिया कि टीम इंडिया ने नहीं बल्कि अकेले लक्ष्मण ने अफ्रीका के सामने जीत के लिए 303 रनों का लक्ष्य रखा....टीम इंडिया के गेंदबाजों ने दूसरी पारी में भी निराश नहीं किया...श्रीशांत की गेंदों के आगे अफ्रीकी बल्लेबाज अपना धैर्य खो बैठे...पीटरसन को हरभजन ने आउट किया तो खतरनाक हाशिम अमला श्रीशांत के दूसरे शिकार बने...
मैच के चौथे दिन भारत जीत से सात विकेट दूर थी....दक्षिण अफ्रीका को मंजिल तक पहुंचने के लिए 192 रन चाहिए थे....और कैलिस भारत की जीत में दीवार बने हुए थे.....यहां कोच्चि एक्सप्रेस श्रीशांत ने उन्हें आउट कर विरोधी ड्रेसिंग रूम में खलबली मचा दी...हरभजन सिंह की एक गेंद को एबी डीविलियर्स पढ़ नहीं सके और एलबीडब्ल्यू आउट हो गए...आधी विरोधी टीम वापस पवेलियन लौट चुकी थी और अब आखिरी हल्ला बोलना था...

एशवेल प्रिंस एक छोर पर टिके हुए थे, लेकिन जहीर की एक गेंद पर जैसे ही बाउचर आउट हुए, ड्रेसिंग रूम की खलबली सन्नाटे में बदल गई...हैरिस, मार्केल और त्सोबे भी एक-एक कर आउट हो गए और भारत ने सेंचुरियन की हार का बदला का बदला ले लिया...

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