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Varanasi, UP, India
Working with an MNC called Network 18, some call it news channel(IBN7), but i call it दफ्तर, journalist by heart and soul, and i question everything..

July 24, 2009

हम ये नहीं कबूलते कि

ये हिंदुस्तान सवा अरब लोगों का मुल्क है लेकिन यहां इंसान सच का सामना करने से कतराता है

हम ये नहीं कबूलते कि
हमारे यहां सड़ी गली परंपराएं आज भी जिंदा हैं - आज भी सड़क पर हजारों लोगों के सामने एक महिला का चीरहरण हो जाता है और तमाशा देखते इंसान नपुंसक बने रहने में अपनी भलाई समझते हैं।

हम ये नहीं कबूलते कि
सड़क पर आज भी उन्माद में डूबी भीड़ के सामने दादी की उम्र की एक महिला को थप्पड़ जड़े जाते हैं - भीड़ देखती है और पिटाई के लिए और उकसाती है -

हम ये क्यों नहीं कबूलते कि
आज भी कौड़ियों के मोल खाकी वर्दी का ईमान बिक जाता है - वो जिस इंसान की सुरक्षा के लिए थी उसके सामने उसी इंसान की पीट पीट कर हत्या कर दी जाती है, सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने प्यार किया

इसे कबूलने के लिए जिगर चाहिए
कि समाज के नियमों को तोड़ने की सजा आज भी मौत है, समाज के अहंकार को ललकारने वाले बेटे को बचाने के लिए उसकी मां मौत से टकरा जाती है, अपने बेटे की ओर चलाई गई गोली वो अपने सीने पर खाकर मर जाती है

क्या हम इस सच का सामने करेंगे
कि आज भी इस मुल्क में मोहब्बत गुनाह समझी जाती है और अगर मोहब्बत करने वाले कानून की शरण में जाते हैं तो उनका गुनाह और भी बढ़ जाता है - भगवा गुंडों के आगे सब गूंगे बहरे बन जाते हैं

इस जंगलराज के आगे सब बेबस क्यों बन जाते हैं
जहां बेहूदी परंपराएं नासूर की तरह सड़ती गलती रहती हैं और हम उन्हें धर्म की तरह आंख मूंद कर सिर्फ और सिर्फ निभाते रहते हैं - इंसानी रिश्तों को गले का फंदा बना कर डाल दिया जाता है और प्रेमी जोड़े का सिर मूंड दिया जाता है

ये मायानगरी ही है जहां
भरोसे का बलात्कार होता है, कैमरे पर कैद होता है एक खौफनाक सच -

हम क्यों नहीं कबूल लेते कि इंसानों के बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इंसान कहलाने लायक नहीं, वो भेड़िये हैं - जो सिर्फ नोचना जानते हैं

यही है सच - सवा अरब हिंदुस्तानियों के बीच में कांटों की तरह उगा हुआ सच

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