महाराष्ट्र के नागपुर जिले का सच। परंपरा के नाम पर वहां जो कुछ हुआ वो इंसान की निगाहें नीची करने वाला है।
वो पहले से शादी शुदा थे। लेकिन शादी के बाद भी वो एक दूसरे के प्यार में पड़ गए। भगत के चार बच्चे हैं। ताराबाई भी चार बच्चों की मां है। लेकिन भगत ने अपनी पत्नी को छोड़ा और ताराबाई ने अपने पति को। दोनों प्यार में पड़कर गांव से भाग गए। दोनों ने शादी कर ली।
समाज की नजर में ये गलत है। कानून की नजर में तो ये गलत है ही। लिहाजा कार्रवाई भी कानूनी होनी चाहिए थी। मुकदमा होना चाहिए था। लेकिन हुआ क्या।
शादी के ताराबाई और भगत वापस नागपुर के अपने गांव में पहुंचे। फिर क्या था। पंचायत ने पकड़ लिया। और लगी अपने तरीके से फैसला सुनाने। न पुलिस। न कानून। सीधा पंचायत की तरफ से सजा। पंचायत ने सरेआम दोनों का सर मुंडा दिया। पंचायत के अध्यक्ष का कहना था कि इन्होनें भाग के शादी की थी, यह गुनाह था. जिसके वजह से पंचो नें मुंडन करने का आदेश दिया। हमेशा की तरह इस मामले में भी पुलिस देर से पहुंची। गनीमत थी कि पंचायत ने सिर्फ सिर मुड़ाने का ही आदेश दिया। नहीं तो इस देश की पंचायते को किसी भी तरह के फैसले दे सकती है। हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दर्जनों उदाहरण आपके सामने है। बहरहाल पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि आखिर इस मामले में कानून का कहां उलंघन हुआ है। इनके साथ कोई जबरदस्ती नही हुई है, उन्होंने पंचायत के आदेश के बाद खुद ही मुंडन। पुलिस का कहना है भगत और ताराबाई के साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं हुई है। उन्होंने खुद मुंडन किया है। लेकिन सवाल ये है आखिर सरेआम किसी पुरुष और महिला का सिर कैसे मुंडाया जा सकता है। क्या ये उनकी मानहानि नहीं। क्या दोनों की शादी पुलिस का मामला नहीं था। फिर इसमें पंचायत कहां से आ गई।
July 24, 2009
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