जब हुआ चिंतित
अकिंचन इस वन में
कोई आवाज ना आई
किसी ने पुकारा नहीं
आगे बढ़ा बढ़ता गया
किसी की तलाश में
शायद कहीं वो मिलेगा
मगर मिलता नहीं
फिर भी ढूंढता हूं कि
कहीं मिल जाएगा
कोई ठौर ठिकाना
वहां जहां मिलेगा थोड़ा
आराम
April 29, 2009
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