आज फिर ये दुख क्यों है
आज फिर ये गम क्यों है
क्यों घेरे है एक ड़र तुमको
क्यों तुम फिक्र करते हो
क्यों आज फिर ये ख्याल आता है
कि तुम्हारा कोई अस्तित्व ही नहीं
कि तुम्हारा को हालचाल लेने वाला नहीं
कि किस फिक्र में रहते हो तुम
क्यों आज फिर तुम नकारे गए
क्यों आज फिर तुमको छोड़ा गया
क्यों आज फिर तुम पीछे रह गए
कि फिर किस दौड़ में रहते हो तुम
September 12, 2009
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