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Varanasi, UP, India
Working with an MNC called Network 18, some call it news channel(IBN7), but i call it दफ्तर, journalist by heart and soul, and i question everything..

July 25, 2009

ये जीत का जश्न है।

दस साल पहले पाकिस्तान ने छिपे तौर पर भारत के भरोसे पर डाका डाला। हमारे मुल्क के सीने पर शान से तनी खड़ी करगिल की चोटियों पर कब्जा जमा लिया। ये सब कुछ इतनी खामोशी से हुआ कि भारत की फौज और सरकार भी चौक गई। लेकिन हिंदुस्तानी फौजियों की बहादुरी और बलिदान के बाद हमने अपना करगिल दुश्मनों के हाथों से वापस छीन लिया। करगिल पर भारतीय सेना की जीत के दस साल पूरे हो चुके हैं। इस जंग को जीतने के लिए हमारे जवानों ने जान की बाजी लगा दी। अपने हौसले और जज्बे से उन्होंने दुश्मन को धूल चटा दी

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरने वालों का यही आखिरी निशां होगा…


गौरव का दिन, उस हौसले और जज्बे को याद करने का दिन, जिसने दुनिया भर में हमारा सिर किया ऊंचा, करगिल की पहाड़ियों में, हमारे सैनिकों ने चटाई दुश्मनों को धूल, बहादुरी की वो दास्तान, सुना रही हैं चोटियां, क्योंकि इन्हीं चोटियों पर बहा था, शहीदों का खून, विजय गाथा को बता रही हैं वादियां, क्योंकि यहीं दुश्मन हुआ था नेस्तनाबूद, सिर्फ गोले, बारूद और तोप से नहीं अपने जज्बे से हमारे वीरों ने दिया, दुश्मन को शिकस्त

करगिल पर हमारी जीत के दस साल पूरे हो गए। दस साल पहले जहां सिर्फ गोलियों की आवाज गूंज रही थी, वहां आज आजादी के तराने गाए जा रहे हैं। हमारे बहादुर जवानों ने करगिल से दुश्मनों को भगाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। पांच सौ से ज्यादा सैनिक शहीद हुए।

ये जीत का जश्न है। ये दुश्मन पर हमारे फौलादी इरादों की फतह का जश्न है। दस साल पहले करगिल की जंग में हमारे वीर जवानों ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। इस जंग में हमने देश के 527 सैनिकों को खो दिए। जबकि 1327 जवान शहीद हुए थे।

हमने फक्र हैं अपने वीर जवानों और देश पर मर मिटने वाले शहीदों पर। मैं भारतीय सेना को बधाई देना चाहता हूँ जिन्होंने शहीद मनोज पाण्डेय की याद में इतना अच्छा वार मेमोरियल बनाया। मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था जब मै शहीद मनोज पाण्डेय की माँ से आज मिला।

July 24, 2009

सीसीटीवी में कैद हुआ बलात्कार,पुलिस को भनक तक नहीं

महिलाओं के लिए बेहद सुरक्षित कहे जाने वाले शहर मुंबई में ही महिलाएं सुरक्षित नहीं है। घाटकोपर स्टेशन पर रात के अंधेरे में एक 25 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया गया। हैरानी की बात ये है कि पूरी वारदात सीसीटीवी में कैद हो गई। लेकिन वारदात के दौरान पुलिस सोती रही। अब अपनी नाकामी को छुपाने के लिए पुलिस सौ बहाने बना रही है।


मुंबई के स्टेशन महफूज नहीं, यहां कुछ भी हो सकता है, आतंकी हमला भी, और न तो यहां लगे सीसीटीवी कैमरे काम आ पाएंगे, और न ही मुंबई पुलिस का कंट्रोल रूम, सीसीटीवी की एक धुंधली सी तस्वीर मुंबई पुलिस की पोल खोलने के लिए काफी है। ये तस्वीर है घाटकोपर स्टेशन की। तारीख 19 जुलाई और समय रात के 3.30 बजे। घाटकोपर स्टेशन के भीतर ही एक लड़की की इज्जत तार तार कर दी गई और पुलिस कुछ नहीं कर पाई। ये हाल तब का है जब इस अज्ञात शख्स की एक एक नापाक हरकत सीसीटीवी में कैद हो रही थी। बलात्कार की शिकार लड़की मदद की गुहार लगाती रही। लेकिन कोई भी पुलिसवाला इसकी मदद के लिए नहीं आया। जबकि घाटकोपर स्टेशन पर नजर रखने के लिए कई सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। और सीसीटीवी पर कैद हो रही तस्वीर को देखने के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम में एक दर्जन से ज्यादा अधिकारियों को रखा गया है।

रेलवे पुलिस के एसीपी का बयान आया कि ये घटना 19 तारिक की है स्टेशन के हद्द में ही एक लड़की के साथ बलात्कार की घटना सामने आई है। लड़की फिलहाल कुछ बोलने की हालत में नहीं है। दरसल उस रात एक अनजान शख्स ने उसके साथ न सिर्फ बलात्कार किया है बल्कि उसने खुद ही उसे अस्पताल तक पहुंचाया है।

बलात्कार की पीड़ित ये लड़की औरंगाबाद से यहां नौकरी की तलाश में आई थी। लेकिन कोई ठिकाना न मिलने पर वो स्टेशन में ही रूक गई। उसके बाद इस गुमनाम शख्स ने इसके साथ पहले तो ज्यातकी की। और बाद में स्टेशन के ही ब्रिज पर जाकर बलात्कार किया। हालांकि अब पुलिस दावा कर रही है कि उसके पास कई सबूत हैं और वो जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लेगी। लेकिन कई दिन गुजरने के बाद भी आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।

अब सवाल है की रात के अँधेरे में एक शख्स किसी लड़की की इज्ज़त तकलूट लेता है। और इसकी भनक तक पुलिस को नहीं लगती है। ज़रा सोंचिये जो पुलिस अपने आस पास एक लड़की को लूटिती इज्ज़त नहीं बचा सकी वो आतंकियों और दुसरे खतरों से कैसे निपटेगी।

प्रेमी जोड़े का मुंडन

महाराष्ट्र के नागपुर जिले का सच। परंपरा के नाम पर वहां जो कुछ हुआ वो इंसान की निगाहें नीची करने वाला है।

वो पहले से शादी शुदा थे। लेकिन शादी के बाद भी वो एक दूसरे के प्यार में पड़ गए। भगत के चार बच्चे हैं। ताराबाई भी चार बच्चों की मां है। लेकिन भगत ने अपनी पत्नी को छोड़ा और ताराबाई ने अपने पति को। दोनों प्यार में पड़कर गांव से भाग गए। दोनों ने शादी कर ली।

समाज की नजर में ये गलत है। कानून की नजर में तो ये गलत है ही। लिहाजा कार्रवाई भी कानूनी होनी चाहिए थी। मुकदमा होना चाहिए था। लेकिन हुआ क्या।

शादी के ताराबाई और भगत वापस नागपुर के अपने गांव में पहुंचे। फिर क्या था। पंचायत ने पकड़ लिया। और लगी अपने तरीके से फैसला सुनाने। न पुलिस। न कानून। सीधा पंचायत की तरफ से सजा। पंचायत ने सरेआम दोनों का सर मुंडा दिया। पंचायत के अध्यक्ष का कहना था कि इन्होनें भाग के शादी की थी, यह गुनाह था. जिसके वजह से पंचो नें मुंडन करने का आदेश दिया। हमेशा की तरह इस मामले में भी पुलिस देर से पहुंची। गनीमत थी कि पंचायत ने सिर्फ सिर मुड़ाने का ही आदेश दिया। नहीं तो इस देश की पंचायते को किसी भी तरह के फैसले दे सकती है। हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दर्जनों उदाहरण आपके सामने है। बहरहाल पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि आखिर इस मामले में कानून का कहां उलंघन हुआ है। इनके साथ कोई जबरदस्ती नही हुई है, उन्होंने पंचायत के आदेश के बाद खुद ही मुंडन। पुलिस का कहना है भगत और ताराबाई के साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं हुई है। उन्होंने खुद मुंडन किया है। लेकिन सवाल ये है आखिर सरेआम किसी पुरुष और महिला का सिर कैसे मुंडाया जा सकता है। क्या ये उनकी मानहानि नहीं। क्या दोनों की शादी पुलिस का मामला नहीं था। फिर इसमें पंचायत कहां से आ गई।

इस जंगलराज के आगे सब बेबस क्यों बन जाते हैं

इस देश में कुछ भी हो सकता है। देखिए प्रेमी जोड़े अपनी मर्जी से शादी भी नहीं कर सकते हैँ। कहीं जात, कहीं गोत्र तो कहीं धर्म। प्रेमी जोडों को लोग अपने हिसाब से सबक सिखा रहे हैं। जिसका जैसे मन हो रहा है अपने हिसाब से इंसाफ कर रहा है। हम आपको एक बदहाल प्रेमी जोड़े की कुछ तस्वीरें दिखाने जा रहे हैं।

उत्तराखंड के काशीपुर जिले में प्रेमी जोड़े की न्यायालय परिसर में पिटाई की गई। हैरान हो गए न पढ़कर आप। पिटाई न सिर्फ कोर्ट परिसर में हुई बल्कि पिटाई के वक्त पुलिस भी मौजूद थी। लेकिन पुलिस चुपचाप देखती रही।

जानते हैं पीटने वाले कौन लोग हैं। चश्मदीदों के मुताबिक ये लोग एबीवीपी यानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हैं। यानि बीजेपी की छात्र इकाई के कार्यकर्ता। जाहिर है मोहब्बत के लिए इनकी जुबान भी भगवा ही होगी। सुनिए आप भी।


आरिफ और मीना नाम का ये प्रेमी जोड़ा कोर्ट में शादी करने आया था। लेकिन शादी से पहले ही वहां पुलिस और एबीवीपी के लोग पहुंच गए। चश्मदीदों और स्थानीय लोगों की माने तो पुलिस ने लड़की को उसके घरवालों को सौंपने की पूरी कोशिश की। लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुई। वो बार बार आरिफ से शादी की जिद कर रही थी। बस यही बात वहां मौजूद विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को नागवार गुजरी। एबीवीपी शुरु से ही मोहब्बत के इस किस्से को मजहबी रंग देने की कोशिश कर रही थी। इसिलिए ठीक शादी के दिन उसने कोर्ट में अपनी खूब मनमानी की। लोग तमाशबीन बने रहे।

कैसे अपनी राजनीति चमकाने के लिए एबीवीपी के कार्यकर्ता समाज के ठेकेदार बन गए पुलिस के सामने ही मीना और आरिफ को प्यार की सजा देते रहे। पुलिस देखती रही और दोनों पिटते रहे। आरिफ की तो कार्यकर्ताओं ने काफी पिटाई कर दी। इसके बाद आरिफ पर पुलिस का कहर भी टूटा। फिलहाल वो पुलिस लॉकअप में बंद है। पुलिस ने आरिफ पर ही धारा 151 यानि शांति भंग करने का मामला दर्ज कर उसे जेल में डाल दिया है। जबकि इसे पीटने वाले अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।

ये है इस देश का सच। न्यायालय अंदर और पुलिस की मौजूदगी में भी कोई सुरक्षित नहीं है। जो कैमरे पर नजर आ रहा है पुलिस उसे भी झूठ मान रही है। जो दबंग है उनके खिलाफ कार्रवाई से बच रही है। जबकि एक प्रेमी को सलाखों के पीछे धकेल दिया गया। यहां मोहब्बत गुनाह है। कानून की शरण में जाना और भी बड़ा जुर्म और वहां जाकर भी बच गए तो बाहर ऐसे न जाने कितने तालिबानी हाथ इंतजार कर रहे होंगे।

इसे कबूलने के लिए जिगर चाहिए

हरियाणा के जींद में हुआ वेदपाल का कत्ल। 14 पुलिसवालों की मौजूदगी में कल वेदपाल का कत्ल कर दिया गया था। उसके बाद पुलिस के आला अधिकारी मौके का मुआयना करने पहुंचे और जानते हैं उस वक्त उनके साथ कौन था। उनके साथ हर पल साए की तरह घूम रहा था एक शख्स। वो शख्स कोई और नहीं वेदपाल के कत्ल का आरोपी था। और उससे भी बड़ी बात ये कि उसे अबतक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
बात सिर्फ एक दिन पुरानी है। हरियाणा के जींद में कल इसी जगह पर एक पति को पीट पीट कर मार डाला गया था। उस शख्स का नाम था वेदपाल। वेदपाल का कसूर सिर्फ इतना था कि हाईकोर्ट के आदेश पर ,पुलिस पार्टी के साथ वो यहां अपनी पत्नी को साथ ले जाने आया था। लेकिन 14 पुलिसवाले भी उसकी हिफाजत न कर सके। मोहब्बत के दुश्मनों ने न सिर्फ एक लड़की को विधवा बना दिया बल्कि एक पुलिसवालों की मौजूदगी में एक पति का कत्ल भी कर डाला। हत्या का आरोप सोनिया के पिता पर है। बताते चले कि उसे अभी तक पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया गिरफ्तार करना तो दूर पुलिस उसको बचाने में जुटी है।

अब आप ही बताएं कि इसे पुलिस का नकारापन न कहें तो और क्या कहें। आखिर ये कैसी हरियाणा पुलिस हो जो पहले तो कत्ल के आरोपी को साथ लेकर घूमती है और फिर उसे गिरफ्तार तक नहीं करती। ये हालत तो तब है जब वेदपाल के कत्ल के मामले में एक एसएचओ को सस्पेंड कर एसपी को भी ट्रांसफर कर दिया गया है। लेकिन वेदपाल के कत्ल के आरोपी को अबतक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ये समझ से परे है। जाहिर है ऐसे में सवाल उठने लाजिमी हैं। सवाल ये कि जब तस्वीरें साफ बयां कर रही हैं कि पुलिस आरोपी को साथ लेकर घूम रही है तो क्यों नहीं उसे अबतक गिरफ्तार किया गया। क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव है या फिर कोई और बात है।

हरियाणा सरकार को इस बात का जवाब देना ही होगा कि उसकी नकारा पुलिस क्यों नहीं वेदपाल के कत्ल के आरोपी को गिरफ्तार कर रही। आखिर इसके पीछे क्या वजह है। क्योंकि ऐसा आजतक नहीं हुआ कि पुलिस एक आरोपी को साथ लेकर घूमे और फिर भी उसे गिरफ्तार न करे।

पड़ोस के राज्य पंजाब की भी हालत कुछ खास नहीं हैं। हालत तो ये है कि एक ही उल्लू काफी है बरबाद-ए-गुलिस्तां करने को, यहां हर शाक पर उल्लू बैठे हैं अंजा-ए- गुलिस्ता क्या होगा। मोहब्बत के नर्क में एक गोली चली और एक मां कुर्बान हो गई। ये दास्तान है पंजाब के पटियाला की जहां गोली चली तो थी पति और पत्नी को मारने के लिए लेकिन एक मां उसके रास्ते में आ गई। नतीजा, अपने बेटे और बहू को बचाने के लिए वो मां कुर्बान हो गई। वो मां तो मर गई लेकिन एक सवाल छोड़ गई कि आखिर कब तक मोहब्बत के नर्क में चलती रहेंगी गोलियां।

कांटों की तरह उगा हुआ सच

सवा अरब हिंदुस्तानियों के बीच में कांटों की तरह उगा हुआ सच

बिहार की वो खबर से जो मानवता के नाम पर कलंक है। यहां एक लड़की को सरेआम अधनंगा कर दिया गया। लोग देखते रहे। अभी तक इस मामले में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्रवासन दिए जा रहे हैं। बिहार विधानसभा में आज जमकर बवाल हुआ। सिर्फ लोगों को सस्पेंड किया गया।

देश का ये शर्म पूरी दुनिया ने देखा। हिंदुस्तान की सड़क पर सैकड़ों हजारों लोगों के सामने एक महिला का चीर हरण हुआ। लोग नपुंसक बन गए।

ऐसी शर्मनाक घटना जिसकी कल्पना भी रूह कंपा दे। ऐसी घिनौनी हरकत जिस देखकर इंसान होने पर शर्म आए। ऐसी विकृत मानसिकता जिस पर उबकाई आए। लेकिन इस शर्म से सिर्फ पटना, बिहार ही नहीं पूरा देश रुबरु हुआ। भीड़ एक महिला का तमाशा बनाती रही। एक सनकी महिला के कपड़े खींचता रहा। तबतक जबतक वो अधनंगी नहीं हो गई। लेकिन तमाशा चलता रहा। चलता रहा। न पुलिस, न समाज के ठेकेदार, न आम लोग। किसी की आत्मा नहीं कलपी। इस महिला को बचाने के लिए कोई कृष्ण नहीं आया। और अब जबकि ये मामला पूरे देश के सामने आ गया है इस पर कार्रवाई शुरु हो चुकी है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांग ली है। राज्य महिला आयोग भी अब तेजी दिखाने लगी। जबकि इलाके के थाने के एक एएसआई को निलंबित किया जा चुका है। महिला के साथ बदसलूकी करने वाले लड़के को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन इन लोगों का क्या होगा। जो इस पूरे मौके का फायदा उठा रहे थे। पुलिस ने भीड़ में मौजूद कई हैवानों को न तो अभी तक हिरासत में लिया है और नही गिरफ्तार किया है। लेकिन मुंख्यमंत्री नीतीश कुमार दावा कर रहे हैं कि कार्रवाई हो रही है।

तो क्या केवल पुलिस वालों को सस्पेंड कर देना ही कार्रवाई है। आखिर भीड़ में शामिल लोगों पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इतने देर तक ये तमाशा चलता रहा तो उसकी गाज सिर्फ एक पुलिस वाले पर क्यों गिरी। क्या कानून व्यस्था की जिम्मेदारी पूरे थाने पर नहीं है। बहरहाल अब विपक्ष में भी इस मुद्दे पर अपने हाथ आजमाने शुरु कर दिया है। विपक्षी नेताओं ने बिहार विधान सभा और विहार विधान परिषद के बाहर जमकर हंगामा किया। खास तौर से महिलाओं ने अपना जोरदार विरोध दर्ज करवाया।

इस शर्मनाक घटना ने बिहार में गुस्से की लहर दौड़ा दी है। आरजेडी के कार्यकर्ताओं ने भी अपना गुस्सा जाहिर किया। हैरानी की बात। सैकड़ों हजारों लोगों के सामने ये वाकया हुआ। लेकिन उस वक्त कोई नजर नहीं आया। सब तमाशबीन बने रहे। लेकिन अब इसपर राजनीति की रोटियां सेकने में मशगूल हैं। इन सब के बीच उस लड़की का हाल चाल जानने तक कोई नहीं पहुंचा। नहीं किसी घावों पर मरहम लगाने की कोशिश की। ये बिहार की ही नहीं देश के कई हिस्सों की सच्चाई है। बिहार में तो ये सच्चाई सिर्फ अधनंगी हुई। जिसे लोगों ने कुछ देर के मनोरंजन का साधन बना लिया।

अत्याचार का ये तमाशा रुका नहीं, गुरुवार को जो हुआ वो सबने देखा। पटना में आज फिर एक शर्मनाक घटना घटी। फर्क सिर्फ इतना था कि पिटने वाली बदल गई थी, अबकी बार बारी थी एक बुजुर्ग महिला की। पीटने वाले भी पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं थीं। इस बार भी पुलिस की नाकामी साफ नजर आई। जब महिला की पिटाई हो रही थी तो उस वक्त मीडिया तो वहां थी लेकिन पुलिस नहीं थी।
पटना एक शर्म से उबरा भी नहीं था। कि उसे दूसरे शर्म ने घेर लिया। पहले सरेआम एक लड़की का चीरहरण कर पुरुषों ने इंसानियत को हरा कर जीत हासिल की। फिर भला महिलाएं भी क्यों पीछे रहे। देखिए किस उम्र की महिला पर सरेआम वो अपना हाथ आजमा रही है।

हैरत और शर्म से भरी हुई ये महिला पिटती जा रही है। लोगों ने इस परे आरोप लगाया है कि इसने मंदिर से चोरी की है।

ये महिला मंदिर के एक पास के एक मुहल्ले में रहने वाली है। हैरत की बात है महिला के पिटते वक्त मीडिया पहुंच गई लेकिन पुलिस वहां नहीं पहुंची। इस महिला की सरेआम बेइज्जती। पटना को शर्मसार करने वाली एक और घटना।

आखिर क्या कहेंगे इसे आप। अगर इस महिला ने चोरी की है तो उसे कानून के हवाले करना चाहिए। या फिर खुद अपने हाथों से ही उसे इंसाफ देने लग जाना चाहिए। जो नजर आ रहा है क्या वही है समाज। क्या यही है सभ्यता।

आप ही बताइये नीतीश जी। आप के सुशासन में ये क्या हो रहा है। मीडिया पहुंच जाती है लेकिन पुलिस वाले नहीं पहुंचते। आखिर क्यों। क्या आप के राज में महिलाओं के साथ ऐसा ही व्यवहार होता रहेगा।

मुख्यमंत्री से जब इस बारे में बात की की गई तो वो भी वही रटेरटाए बयान दे पल्ला झाड़ लिया। नीतीश कुमार का कहना था कि दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा, स्पीडी ट्रायल के माध्यम से जल्द से जल्द कारवायी होगी।

लेकिन असलियत तो ये है कि लोगों को पुलिस और कानून पर कोई भरोसा ही नहीं रह गया है। इसलिए उन्हें कानून अपने हाथ में लेने में मजा आने लगा है। इसलिए पहले जरुरत है कि पहले पुलिस और कानून में लोगों का भरोसा बढ़ाना होगा। लोगों में पुलिस और कानून का डर जताना होगा। तब कहीं जाकर ऐसी घटनाएं रुकेंगी। नहीं तो ये होता रहेगा। और बयानों का दौर चलता रहेगा। स्पीडी ट्रायल के माध्यम से कुछ चंद लोगो को सजा दिलाकर बिहार के मुख्यमंत्री भले ही अपना पीठ खुब थप-थपाये मगर हकिकत तो यह है कि जंगल राज में सभी राजा बन बैठे हैं। लगता है फिल्म गंगाजल का असर लोगों पर ज्यादा हो रहा है। पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहे और लोग ही न्याय करते रहे।

हम ये नहीं कबूलते कि

ये हिंदुस्तान सवा अरब लोगों का मुल्क है लेकिन यहां इंसान सच का सामना करने से कतराता है

हम ये नहीं कबूलते कि
हमारे यहां सड़ी गली परंपराएं आज भी जिंदा हैं - आज भी सड़क पर हजारों लोगों के सामने एक महिला का चीरहरण हो जाता है और तमाशा देखते इंसान नपुंसक बने रहने में अपनी भलाई समझते हैं।

हम ये नहीं कबूलते कि
सड़क पर आज भी उन्माद में डूबी भीड़ के सामने दादी की उम्र की एक महिला को थप्पड़ जड़े जाते हैं - भीड़ देखती है और पिटाई के लिए और उकसाती है -

हम ये क्यों नहीं कबूलते कि
आज भी कौड़ियों के मोल खाकी वर्दी का ईमान बिक जाता है - वो जिस इंसान की सुरक्षा के लिए थी उसके सामने उसी इंसान की पीट पीट कर हत्या कर दी जाती है, सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने प्यार किया

इसे कबूलने के लिए जिगर चाहिए
कि समाज के नियमों को तोड़ने की सजा आज भी मौत है, समाज के अहंकार को ललकारने वाले बेटे को बचाने के लिए उसकी मां मौत से टकरा जाती है, अपने बेटे की ओर चलाई गई गोली वो अपने सीने पर खाकर मर जाती है

क्या हम इस सच का सामने करेंगे
कि आज भी इस मुल्क में मोहब्बत गुनाह समझी जाती है और अगर मोहब्बत करने वाले कानून की शरण में जाते हैं तो उनका गुनाह और भी बढ़ जाता है - भगवा गुंडों के आगे सब गूंगे बहरे बन जाते हैं

इस जंगलराज के आगे सब बेबस क्यों बन जाते हैं
जहां बेहूदी परंपराएं नासूर की तरह सड़ती गलती रहती हैं और हम उन्हें धर्म की तरह आंख मूंद कर सिर्फ और सिर्फ निभाते रहते हैं - इंसानी रिश्तों को गले का फंदा बना कर डाल दिया जाता है और प्रेमी जोड़े का सिर मूंड दिया जाता है

ये मायानगरी ही है जहां
भरोसे का बलात्कार होता है, कैमरे पर कैद होता है एक खौफनाक सच -

हम क्यों नहीं कबूल लेते कि इंसानों के बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इंसान कहलाने लायक नहीं, वो भेड़िये हैं - जो सिर्फ नोचना जानते हैं

यही है सच - सवा अरब हिंदुस्तानियों के बीच में कांटों की तरह उगा हुआ सच

July 20, 2009

कसाब आखिर कबूला अपना जुर्म

26 नवंबर 2009 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के आरोपी आमिर अजमल कसाब ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। कसाब ने स्पेशल कोर्ट में हमले की पूरी कहानी सुनाई। उसने सिलसिलेवार तरीके से पाकिस्तानी साजिश का खुलासा किया। उसने बताया कि किस तरह वो कराची से मुंबई समंदर के रास्ते आया। मुंबई आने के बाद कसाब ने किस तरह खून-खराबा किया। इसके बारे में कसाब ने कोर्ट को विस्तार से बताया। कसाब ने माना कि कामा अस्पताल में उसने बेकसूर लोगों का खून बहाया। मुख्य आरोपी अजमल कसाब ने अदालत को बताया कि किस तरह वो कराची से बोट से अपने नौ साथियों के साथ मुंबई पहुंचा था। उसने अदालत को बताया कि वो कामा अस्पताल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हुए हमले में शामिल था। कसाब ने अपने साथियों में अबू हमजा और लखवी का नाम भी बताया। कोर्ट ने कसाब का बयान दर्ज कर लिया है।

सरकारी वकील उज्जवल निकम ने बताया कि वो काफी वक्त से कोशिश कर रहे थे, और आखिर कसाब ने अपना गुनाह कबूल कर ही लिया। सरकारी वकील ने ये भी बताया 9 बड़े आतंकियों के नाम भी लिए। उसने हमले के मास्टरमाइंड लखवी और हाफिज सईद का भी नाम लिया। विशेष सरकारी वकील ने ये भी बताया कि कसाब कितना शातिर है, और वो जितनी जल्दी दूसरी भाषाओं को सीख लेता है, वो हैरान करने वाला है। हिन्दी, अंग्रेजी और उर्द जानने वाला कसाब बहस के दौरान मराठी भी सीख चुका है।

कसाब बेहद शातिर है। कसाब ने पहली बार मुंबई पर हमले मामले में अपना गुनाह नहीं कबूला है। इससे पहले भी कसाब गुनाह कबूल कर चुका है। मुंबई पुलिस के सामने कसाब ने अपनी करतूतों को विस्तार से बताया था। कोर्ट में सच्चाई बयां करने से पहले ही कसाब ने जांच एजेंसियों के सामने पहली बार क्या खुलासा किया था। कोर्ट में कसाब के कबूलनामे से कई सनसनीखेज खुलासे हुए। सरकारी वकील ने कोर्ट को कसाब का 23 पेज का कबूलनामा सुनाया।

और इस कबूलनामे से एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ। कसाब के कबूलनामे के मुताबकि पाकिस्तान सेना का एक मेजरजनरल दो बार उसके कैंप में आया। उसके यानि लश्कर ऐ तैयबा के कैंप में। यही नहीं कसाब के कबूलनामे के मुताबिक इस मेजर जनरल ने मुंबई के मिशन पर निकलने वाले सभी दस आतंकियों की परीक्षा भी ली। उनसे उनके लक्ष्यों यानि कहां कहां हमला करना है इसके बारे में जानकारी मांगी। मुंबई के लोकेशन के बारे में। इस परीक्षा मे पास होने के बाद ही उन्हें मुंबई की तरफ भेजा गया।

आतंकी संगठन में शामिल होने से पहले कसाब की अपने पिता से बात हुई। या यूं कहें कि पिता ने ही उसे संगठन में शामिल कराया। इस मौके पर क्या क्या कहा कसाब से उसके पिता ने... क्या क्या सिखाया उसे। कैसे कसाब को ले गया वो लश्कर के दफ्तर में। कसाब ने ये सब खुलासा जांच एजेंसी के सामने किया था।

कसाब ने जो गुनाह किया है वो अजीम है। वो इंसानियत का दुश्मन है। महज चौथी तक पढ़े कसाब ने अपने पहले कबूलनामे में सबकुछ बताया है। उसने बताया कि उसके दो और भाई है। दो बहने हैं। मां का नाम नूर इलाही है। बड़े भाई की अफजल की शादी हो चुकी है। अफजल की शादी साफिया नाम की लड़की से हुई। उन्हें एक बेटा और एक बेटी है। लेकिन पैसे को लेकर कसाब के भाई और भाभी में झगड़ा हो गया। वो अलग रहने लगी। कसाब ने भी बड़े भाई के यहां जाना बंद कर दिया. क्योंकि पैसे को लेकर उसे भी खरी खोटी सुननी पड़ती थी। कसाब के पिता की कमाई पहले से ही कम थी। कसाब की माने तो पूरा मुद्दा सिर्फ और सिर्फ गरीबी का था। यही गरीबी ही थी जो उसे लश्कर तक ले गई। पिता ने उसकी उंगली पकड़ी। और उसे ले गए लश्कर के दफ्तर तक।

पुलिस और कसाब के बीच हुई वार्तालाप कुछ इस तरह से थी।

पुलिस- स्कूल कब छोड़ा तुमने

कसाब- 2000 में छोड़ा

पुलिस- उसके बाद क्या किया।

कसाब-- मजदूरी, पहले गांव में किया, फिर वहां से निकल गया।

पुलिस- मजदूरी यानि क्या क्या करता था

कसाब- मिस्त्री के साथ, रेती वगैरह, सीमेंट वगैरह

पुलिस- यानि बिल्डिंग का काम करता था

कसाब-- उसके बाद लाहौर चला आया।

पुलिस- कितने साल रहा उधर

कसाब-- उधर काफी देर रहा हूं, तकरीबन पांच साल

पुलिस-- पांच साल? यानि 2005 तक वहां रहता था?

कसाब-- हां तकरीबन, अभी फिर भी आता जाता था

पुलिस-- और 2005 के बाद

कसाब-- उसके बाद बस वही, कभी गांव में, कभी किधर, मजदूरी कोई ठीन नहीं मिल रही थी। काफी देर गुजर गया, फिर इनसे राब्ता करवाया बाप ने।

पुलिस- कैसा कैसा

कसाब--- बाप ने कहा था न, देख बेटा हम बहुत गरीब हैं। फलाह हैं। उसी ने उनसे मुलाकात करवाई, दफ्तर वालों से। दफ्तर वालों ने फिर आगे भेजा ट्रेनिंग पर।

कसाब के पिता आमिर कसाब ने उसकी मुलाकात करवाई लश्कर के लोगों से। उनका दफ्तर उसके गांव में ही था। लश्कर के लोग गांव के गरीब घरों में अपने शिकार की तलाश में आते थे। नौजवानों को चुनते थे और उन्हें आतंकवादी बनाते थे। सुनिए कसाब का नया कबूलनामा। इसमें पुलिस और कसाब जिस चाचा का जिक्र कर रहे हैं दरअसल वो जकी उर्ररहमान लखवी है। मुंबई हमले का मास्टरमाइंड।

पुलिस-- तुम्हारे बाप औऱ चाचा की पहचान कैसे हुई।

कसाब- वो तो लाहौर में नहीं,,, गांव में किया था न उनसे।

पुलिस- गांव में चाचा आया था क्या।

कसाब-- गांव में और दिपालपुर में न उनका दफ्तर है।

पुलिस-- कौन सी जगह पर

कसाब--- दिपालपुर

पुलिस- किसका दफ्तर है

कसाब- चाचा वालों का

पुलिस- कितने लोग आते हैं वहां पर

कसाब- काफी लोग आते जाते हैं कुछ नए होते हैं। कुछ पुराने होते हैं।

पुलिस- दफ्तर में कौन कौन होता है

कसाब- भाईजान उधर बदलते रहते हैं बंदे। कन्फर्म नहीं होता। एक बंदा बैठता है। थोड़ी देऱ गुजर जाता है तो बंदा तफदीर। बंदा तफदीर। ऐसा होता है। ऐसे ही दावत देते हैं। जैसे मेरे बाप को। पता नहीं। उन लोगों ने क्या कहा। उसने मुझसे कहा जीमत वाला है। इसमें बहुत इज्जत होती है । ऐसा बोलते थे। मेरे बाप ने मुझको तआरुफ करवाया। फिर बाद में उसने मुझको लेक्चर दिया।

कसाब का पिता उसे धीरे-धीरे ऐसे नापाक राह पर धकेल रहा था। जिससे इज्जत का कोई लेना देना नहीं था। लेकिन लश्कर के लोगों ने उसे ऐसी सीख दी कि वो पैसे के लिए अपना आपा खो बैठा। उसने अपने हाथों से ही कसाब को नर्क में धक्का दे दिया।

पुलिस- तुम्हारी पहचान किसके साथ करके दी।

कसाब-- वो दफ्तर वालो के साथ। कि ये दफ्तर है बेटा। तूजा, अल्लाह की सफरत है। तेरी गरीबी दूर हो जाएगी। इज्जत बहुत आएगा।

July 18, 2009

गाली-गलौज की गंदी राजनीति की जबर्दस्त स्क्रिप्टिंग

काफी जद्दोजहद और वाद विवाद के बाद आखिरकार रीता बहुगुणा जोशी को जमानत मिल ही गई। इस हाईप्रोफाइल गालीगलौज का पटाक्षेप इससे बेहतर और कुछ शायद राजनीतिक पंडितों ने नहीं सोचौ होगा। या फिर यूं कहें कि इस गालीगलौज के नाटक की स्क्रिप्टिंग इससे बेहतर नहीं हो सकती था। इस विवाद से एक बात तो सामने आ गई कि गाली गलौज करने के मामले में कांग्रेस भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का फेहरिस्त में शामिल हो गई। हालांकि इस सब में एख शख्स ऐसा था जिसे सिर्फ रीता की जमानत से मतलब था। उसे इस कांड पर होरही राजनीति से कोई लेनादेना नहीं था। वो कोई औऱ नहीं रीता का बेटा मयंक था। मां रीता बहुगुणा को जमानत मिलने के बाद बेटा मयंक भी बेहद खुश नजर आया। सुबह मां से जब मिलने मयंक गया था, तब वो बिल्कुल अकेला था। उसके साथ कांग्रेस के एक भी नेता नहीं था। लेकिन इस वक्त खुशी के लम्हे में वो भीड़ से घिरा था।

इससे पहले आज लखनऊ में रीता की रिहाई और उनके घर पर आगजनी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कांग्रेसियों ने प्रदर्शन किया था। दूसरी तरफ वाराणसी में भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी इन्हीं मांगों को लेकर प्रदर्शन किया।

रीता बहुगुणा को जमानत मिलने के बाद अब कांग्रेस के निशाने पर पूरी तरह से माया सरकार और उसके विधायक होंगे। कांग्रेस की पूरी कोशिश होगी कि रीता बहुगुणा के घर आग लगाने वाले मुद्दे को हवा दी जाए। और उसके लिए केंद्र सरकार किसी भी मामले में बैकफुट पर आने के मूड में नहीं दिख रही है। अपनी पॉवर और पहुंच का फायदा उठाते हुए सरकारी तंत्र पूरी तरह से मीडिया को अपनी गिरफ्त में ले चुका है। सभी प्राइवेट चैनलों पर इस बात की पूरी ताकीद कर दी गई है कि इस मुद्दे को हाथ से ना निकलने दिया जाए। और साथ ही आरोपी बीएसपी विधायक की गिरफ्तारी के लिए सरकार और पुलिस को मजबूर किया जाए। यहां ये याद दिला दें कि रीता बहुगुणा के घर में आग लगाने के मामले में एक बीएसपी विधायक के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। आरोपी विधायक का नाम जीतेंद्र सिंह बबलू है। जीतेंद्र सिंह यूपी के बीकापुर से बीएसपी विधायक हैं। इनके अलावा एक बीएसपी नेता इंतज़ार आब्दी और विधायक जीतेंद्र सिंह के कुछ समर्थकों के के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।

लखनऊ में यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रीता बहुगुणा के घर 15 जुलाई की रात कुछ लोगों ने आग लगा दी थी। आगजनी की इस घटना में रीता के घर का ज्यादातर सामान और 4 कारें जलकर राख हो गई थीं। रीता और उनके समर्थकों ने आगजनी के लिए बीएसपी कार्यकर्ताओं और विधायक जीतेंद्र सिंह पर आरोप लगाया था। लेकिन शुरू में मायावती ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि आगजनी के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। लेकिन अब बीएसपी विधायक पर केस दर्ज होने से धीरे-धीरे सच्चाई सामने आने लगी है।

मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल के आरोप में 14 दिन की न्यायिक हिरासत काट रहीं रीता बहुगुणा की जमानत याचिका पर आज फिर सुनवाई होगी। शुक्रवार को रीता की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी लेकिन सर्विस टैक्स के मुद्दे को लेकर वकील हड़ताल पर थे। जिसकी वजह से रीता की जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी थी।


जहरीली जबान बोलने पर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजी गई रीता क्या आज जेल से बाहर आईं। जो अडंगा शुक्रवार को लग गया था, वो आज भी कायम था लेकिन भाग्य की धनी या फिर सियासत की धनी रीता को आखिर जमानत मिल ही गई। रीता पर अभद्र भाषा के इस्तेमाल के अलावा एससी एसटी एक्ट एक्ट का मामला है। हालांकि उनके वकीलों को भरोसा है कि अगर सुनवाई हुई तो रीता पर लगे आरोप स्टैंड नहीं कर पाएंगे, और हुआ भी वही।

कौमार्य परीक्षण या बेइज्जती


मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में लड़कियों के कौमार्य परीक्षण पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। दो आदिवासी लड़कियों ने शहडोल जिले के पूर्व कलेक्टर समेत तीन अफसरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। सरोज और आरती नाम की इन गरीब लड़कियों की अर्जी चौंकाने वाली है। लड़कियों ने आरोप लगाया है कि जबरन उनका कौमार्य परीक्षण किया गया।

सरोज और आरती उन 150 गरीब लड़कियों में शामिल हैं जिनका साढ़े छह हज़ार रूपये के सरकारी दहेज की खातिर मेडिकल टेस्ट किया गया। आरोप है कि टेस्ट के नाम पर उनके साथ शर्मनाक सुलूक किया गया। एससी/एसटी थाने में सरोज ने शिकायत की है कि मेडिकल टेस्ट को मना करने पर CEO संतोष पटेल ने कहा कि बैगा आदिवासी लड़कियों का क्या भरोसा कि वो कुंवारी हैं या गर्भवती।

फिर महिला चिकित्सक ने उसका मेडिकल चेकअप किया। इससे वो खुद को अपमानित महसूस कर रही है। सरोज की पूरी शिकायत को सहां लिखा नहीं जा सकता। लेकिन उसका एक एक लफ्ज सरकारी अफसरों की बेशर्मी बयान कर रहा था। दूसरी लड़की आरती ने भी बताया कि कैसे शिवराज के राज में लड़कियों के साथ बुरा बर्ताब किया गया। उसका कहना था कि उसके पेट पर हाथ रखकर लेडी डॉक्टर ने चैक किया। उसे ऐसा करना अच्छा नहीं लगा। मुख्यमंत्री बहू बेटी मानते हैं औऱ ऐसा काम करवाते हैं।

सोहागपुर में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत घर बसाने आईं 150 लड़कियों में से 138 को शादी के सरकारी मंडप में तब बैठने की इजाजत मिली जब ये तय हो गया कि वो गर्भवती नहीं हैं। बारह लड़कियां मंडप में नहीं बैठ पाईं क्योंकि वो गर्भवती थीं।

शिकायत के बाबजूद पुलिस ने अब तक कोई मामला दर्ज नहीं किया है। वो सिर्फ जांच का राग अलाप रही है। उनका कहना है कि पूर्व कलेक्टर, जनपद पंचायत के सीईओ औऱ समाज कल्याण कल्याण के खिलाफ़ शिकायत आई है वो जांच कर रहे हैं फिर कार्रवाई करेंगे।

हद तो तब हो गई जब हंगामा मचते ही मध्यप्रदेश महिला आयोग ने तुंरत शिवराज सरकार को क्लीन चिट दे दी। अब राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम शहडोल में लड़कियों के बयान दर्ज कर रही है। और लड़कियां शिकायत की अर्जी लिए शिवराज के अफसरों की तरफ ताक रही हैं कि शायद उन्हे इंसाफ मिल सके। हिन्दुस्तान की संस्कृति औऱ अस्मिता की दुहाई देने वाली बीजेपी। वो हिन्दुस्तान जिसमें औरत को देवी का दर्जा मिलता है। लेकिन शिवराज के राज में अफ़सरों ने दुनिया को दिखा दिया है कि वो औऱत का कितना सम्मान करते हैं।

July 16, 2009

आखिर कब तक ?

दस साल पहले हमने कारगिल युद्ध का सामना किया था। देश ने लगभग 527 जवान खोकर इस युद्ध में दुश्मन देश पाकिस्तान को परास्त कर दिया था। लेकिन नक्सलवाद के रूप में हम न जाने कितने कारगिल जैसे युद्ध लड़ चुके हैं और हमें कोई सफलता भी नहीं मिली है। वैसे तो देश में नक्सलवाद की लड़ाई दो दशक से भी पुरानी है, लेकिन पिछले पांच सालों पर नजर डालें तो तीन हजार से अधिक लोग इस लड़ाई की भेंट चढ़ चुके हैं। इतना ही नहीं हजार से अधिक जवान भी शहीद हो चुके हैं। सिर्फ इस साल ही अब तक 6 महीनों में 230 जवान समेत लगभग 485 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में नक्सलवाद पर पेश है एक खास रिपोर्ट..

इस साल सबसे अधिक

देश में नक्सल प्रॉब्लम दिन पर दिन विकराल रूप लेती जा रही है। वैसे तो यह प्रॉब्लम शुरू हुई थी सत्तार के दशक में लेकिन दो दशक पहले इसका हिंसक रूप सामने आया। पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल सबसे अधिक घटनाएं सामने आई हैं। इस साल के 6 महीनों में ही 1130 घटनाएं हो चुकी हैं। जबकि लास्ट इयर सेम पीरियड में 766 मामले सामने आए थे। इतना ही नहीं इस वर्ष अब तक कुछ 485 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें 230 जवान और 255 आम नागरिक थे।

37000 सोल्जर्स

नक्सलवाद की यह लड़ाई कितनी बड़ी है इस बात का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इस समय लगभग 37 बटालियन पैरामिलिट्री फोर्स यानी 37000 सोल्जर्स जंग से लड़ने के लिए लगाए गए हैं।

छत्तीसगढ़ में अधिक

वैसे तो देश के लगभग 12 स्टेट नक्सलवाद की इस समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन छत्ताीसगढ़ में प्रॉब्लम सबसे अधिक सीरियस बनी हुई है। पिछले दिनों में यहां एक नक्सली हमले में एसपी समेत 36 लोगों की जान चली गई थी। यहां की स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पूरे देश में नक्सलवाद से मुकाबले के लिए लगीं कुछ 37 बटालियन में 17 बटालियन यानी 17 हजार जवान अकेले छत्ताीसगढ़ में लगाए गए हैं। साथ ही देश में कुल होने वाली नक्सली घटनाओं में 82 परसेंट घटनाएं छत्ताीसगढ़, बिहार, झारखंड और उड़ीसा में संयुक्त रूप से होती हैं। इसके साथ ही कुल होने वाली कैजुअल्टीज का 77 परसेंट इन्हीं स्टेट्स में हुई हैं।

इतिहास के झरोखे से

नक्सलाइट्स टर्म वेस्ट बंगाल के एक स्माल विलेज नक्सलवारी से आया है। जहां कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया का एक भाग चारू मजूमदार और कानू सांन्याल के नेतृत्व में 1967 में हिंसक हो गया, जिसने सीपीआई लीडरशीप के खिलाफ ही रिवेल्यूशनरी अपोजिशन डेवलप करने की कोशिश की। विद्रोह की शुरुआत 25 मई 1967 में नक्सलबारी विलेज में उस समय हुई जब एक किसान पर भूमि विवाद को लेकर हमला किया गया। मजूमदार चीन के माओ जेडांग से इंस्पायर था और भारतीय किसानों और लोअर क्लास की जमीनों को गिरवी रखने के लिए वह गवर्नमेंट और अपर क्लास को जिम्मेदार ठहराने लगा। इसके बाद नक्सलाइट मूवमेंट का जन्म हुआ। 1967 में नक्सलाइट ने आल इंडिया कोआर्डिनेशन कमेटी आफ कम्युनिस्ट रिवोल्यूशनरीज संगठित किया जो बाद में सीपीआई (एम) में बंट गया। 1969 में एआईसीसीसीआर ने कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (मार्सिस्ट-लेनिनिस्ट) को जन्म दिया। प्रेक्टिकली धीरे-धीर सभी नक्सलाइट ग्रुप्स अपने ओरिजिन सीपीआई (एमएल) से पहचाने जाने लगे। 1980 में तीस नक्सलाइट ग्रुप्स 30 हजार कंबाइंड मेंबरशिप के साथ सक्रिय हुआ। भूमि और सामान्तवाद की यह लड़ाई धीरे-धीरे खूनी जंग का रूप लेने लगी। नक्स्लवाड़ी से पूरा वेस्ट बंगाल फिर उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, झारखंड, बिहारी, छत्ताीसगढ़ के साथ देश के लगभग एक दर्जन राज्यों में यह एक समस्या के रूप में सामने आया।

नक्सल का आतंक बढ़ता ही जा रहा है. नक्सली आए दिन अटैक कर रहे हैं. नक्सली अक्सर खाकी वर्दी को अपना निशाना बनाते हैं. वामपंथी नक्सलवाद देश के 630 डिस्ट्रिक्ट में से 180 को अपनी चपेट में ले चुका है। देशभर में इनके करीब 22 हजार कैडर हैं।

झारखंड

पूरा स्टेट माओवाद की चपेट में, लेकिन 24 में से 16 डिस्ट्रिक्ट बुरी तरह पीड़ित हैं. स्टेट में माओवादियों के छह प्रमुख ग्रुप काम कर रहे हैं. तृतीया प्रस्तुति कमेटी, झारखंड प्रस्तुति कमेटी, द पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आफ इंडिया, झारखंड जनसंघर्ष मुक्ति मोर्चा, संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा वसीपीआई (एम)।

उड़ीसा

यह स्टेट भी अधिकांश लाल रंग में रंग चुका है, लेकिन कुल 30 डिस्ट्रिक्ट्स में से आंध्र प्रदेश व छत्ताीसगढ़ से सटी सीमा के 17 डिस्ट्रिक्ट माओवाद से भयंकर रुप से ग्रस्त हैं। दक्षिणी उड़ीसा के मलकानगिरि, कोरापुट, रायगढ़, गजपति डिस्ट्रिक्ट्स में इनकी मजबूत उपस्थिति है। आदिवासी बहुल्य कंधमाल में भी अच्छा नेटवर्क है। उड़ीसा के डिस्ट्रिक्ट्स सुंदरगढ़, देवगढ़, संभलपुर बौध और अंगुल में तेजी से फैलाव।

बिहार

इस स्टेट के 38 में से 19 डिस्ट्रिक्ट्स में अच्छा खासा प्रभाव, पहले से इनकी मौजूदगी वाले पटना, गया, औरंगाबाद, भभुआ, रोहतास ओर जहानाबाद के अलावा अब इनका फैलाव उत्तार की तरफ हो रहा है। पश्चिमी चंपारण, पू. चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मघुबनी इनके नए विस्तार क्षेत्र हैं. सहरसा, वेगूसराय, वैशाली और उत्तार प्रदेश से सटे एरियाज में भी इनका प्रभाव है।

छत्ताीसगढ़

30 साल से माओवाद समस्या ने खनिज संपदा से धनी इस स्टेट की हालत को बदतर करने में मेन रोल निभाया है। 10 डिस्ट्रिक्ट्स के 150 पुलिस थाने गंभीर रुप से संवेदनशील. दंतेवाड़ा, कांकेर, बस्तर, बलरामपुर ओर सारगुजा डिस्ट्रिक्ट्स में माओवादियों की जड़े मजबूत।

आंध्र प्रदेश

स्टेट के दंडकारण्य एरिया में इनका खतरा बना हुआ है. विशाखापट्नम, विजयानगरम, खम्माम और पूर्वी गोदावरी डिस्ट्रिक्ट्स में मजबूत नेटवर्क।

महाराष्ट्र

गढ़चिरौली इनका गढ़ है जबकि चंद्रपुर गोडिंया, यवतमाल, भंडारा और नांदेड़ जैसे डिस्ट्रिक्ट नक्सलग्रस्त घोषित। ये सभी जिले आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित एरियाज से सटे हुए हैं।

July 15, 2009

तैनाती के लिए तैयार


कभी न खत्म होने वाले इंतजार के बाद ड्राईडॉक, जहां भारत की पहली परमाणु पमडुब्बी निर्मित की जा रही है, के कपाट आखिरकार समुद्र के लिए खोल दिए जाएंगे। विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में एडवांस्ड टेक्लोलॉजी वेस्सल(एटीवी) का उद्घाटन 26 जुलाई को किए जाने की संभावना है। विजय दिवस के रूप में मनाई जाने वाली यत तारीख कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी घुस्पैठियों को हटाए जाने की 10वीं वर्षगांठ है। 6000 टन की पनडुब्बी- जो अर्से से भारतीय प्रतिरक्षा का सबसे गोपनीय रहस्य थी- का उद्घाटन नौसेना और डीआरडाओ की उस संयुक्त परियोजना का हिस्सा, जिसके तहत पानी के भीतर से दुश्मन पर गुप्त परमाणु अस्त्र वार करने में क्षमता विकसित की जानी है। इस पनडुब्बी (रूस की चार्ली समूह का परिश्कृत डिजाइन, जिसे आइएनएस चक्र के तौर पर उपयोग किया) के प्रयोग के साथ ही भारत परमाणु पनडुब्बी का प्रयोग करने वाला दुनिया का छठा देश बन जाएगा। इसकी शुरुआत दो साल पहले उस प्रक्रिया का पहला कदम है जिसके तहत पनडुब्बियों के समुद्री परीक्षण के पहले इनके परमाणु रिएक्टरों और प्रणालियों का परीक्षण किया जाएगा। नौसेना डॉकयार्ड में स्थित ड्राईडॉक शिपबिल्दिंग सेंटर में दो और जलपोतों का निर्माण किया जा रहा है।

July 14, 2009

सेना ने फिर बढ़ाया देश का मान

फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस की परेड में भारतीय सेना का प्रदर्शन देखने लायक था। पूरी परेड का नेतृत्व करते हुए भारतीय सेना ने सभी का मन मोह लिया। अपनी चटक चाल और सधे कदमताल से प्रधानमंत्री का सीना दूर देश भी चौड़ा था। इस गर्व के मौके पर भारतीय थल सेना सबसे आगे थी। उसके पीछे नौसेना के जवान और फिर वायुसेना का कौशल काबिले तारीफ था। पात प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दो देशों की पांच दिवसीय यात्रा पर पेरिस में हैं। यहां वो राष्ट्रीय दिवस समारोहों के मुख्य अतिथि भी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये भारत के लोगों का सम्मान है। अपनी इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री फ़्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सार्कोजी से मुलाक़ात करेंगे। पेरिस में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। गौरतलब है कि भारतीय सेना के कुछ जवान भी फ्रांस की राष्ठ्रीय दिवस परेड में हिस्सा लेने हफ्ते भर पहले ही पेरिस में हैं। इस दौरे के दौरान फ्रांस के साथ व्यापार, निवेश, उच्च स्तरीय प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष,परमाणु ऊर्जा, रक्षा, शिक्षा, संस्कृति और वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में संबंधों को और मजबूत करना पर जोर रहेगा।

पड़ोसी की फिर सपोलों को छोड़ने की तैयारी

पड़ोसी देश पाकिस्तान में मुंबई हमले हमले के गुनहगार और आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज सईद को राहत देने की कोशिश जारी है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने हाफिज के खिलाफ चल रहे केस को पाक सुप्रीम कोर्ट से वापस लेने की अर्जी दी है। पंजाब प्रांत की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि, निचली अदालत के फैसले को चैलेंज करने वाली याचिका को रद्द कर दिया जाए। हालांकि इसके बाद पंजाब प्रांत ने इशारा किया है कि चूंकि उनके हाफिज के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं, इसलिए इस मामले को लंबा खींचने का कोई मतलब नहीं है। खबर ये भी है कि पाकिस्तान के एटॉर्नी जनरल पंजाब प्रांत को समझाने की कोशिश करेंगे कि वो केस वापस लेने की अर्जी न दें। आतंकी हाफिज सईद मुंबई हमले के सिलसिले में पाकिस्तान में नजरबंद है। एक तरफ मुबई हमले के मद्देनजर पाकिस्तान भारत को पूरा समर्थन देने की बात करता है वहीं दूसरी तरफ वो इस तरह के कारनामे कर अपने आतंकी साथियों को पनाह देने से भू गुरेज नहीं करता। पिछले दिनों पारिस्तानी सेना के एक बड़े अफसर के बयान पर अभी बवाल थमा नहीं है कि सरकार ने भी अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं। पता हो कि इस अफसर ने माना था कि सेना और आईएसआई का संबंध आलकायदा जैसे संगठनों से लगातार बना हुआ है।

July 13, 2009

नक्सलियों के हमले से दो दिनों में दहला देश

असम का सोनितपुर इलाका आज एक जोरदार धमाके से दहल उठा। ये धमाका सेना की एक गाड़ी को निशाना बनाकर किया गया। हादसे में सेना का एक कर्नल और गाड़ी का ड्राइवर शहीद हो गए। ये धमाका आईईडी के जरिए किया गया। हादसा आज सुबह करीब पांच बजे सोनितपुर के रंगापुरा पुलिस स्टेशन के नजदीक हुआ। सेना की मेडकल जिप्सी और एंबुलेंस दिसपुर से टांगा जा रही

राजनांदगांव में नक्सली हमले में शहीद होने वाले पुलिस कर्मियों की तादाद 38 पर पहुंच गई है। कल तक हमले में 36 लोगों की जान गई थी। लेकिन आज मिलने वाली खबरों के मुताबिक हमले के शिकार दो और पुलिसकर्मियों की जान चली गई है। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में शोक का मंजर है। राजनामदगांव आज पूरी तरह बंद है। स्कूल, कॉलेज और बाजार पूरी तरह बंद हैं। नक्सली हमले में शहीद हुए जवानों और अफसरों को श्रद्धांजलि देने के लिए पुलिस के आला अफसर से लेकर आम लोग तक जमा हुए हैं। खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और राज्यपाल ई.एस.एल नरसिंम्हन भी शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने आज राजनांदगांव जाएंगे। नक्सल हमले में शहीद हुए सभी जवान जिला पुलिस और सीआरपीएफ के हैं। इस नक्सली हमले के मद्देनज़र धमतरी ज़िले के अलावा राजनांदगांव और बस्तर मे हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। इसके अलावा रायपुर में भी सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है।

आज की हेडलाइंस

1. दिल्ली में जुर्म के खिलाफ आवाज उठाना पड़ा महंगा, अशोक विहार में शिकायतकर्ता को बदमाशों ने सबके सामने तलवार से काटा


2. बारिश की वजह से दिल्ली मेट्रो हादसे के बाद मलबा हटाने में बढ़ी परेशानी, नेहरु प्लेस जाने के रास्ते में आज भारी फेरबदल


3. मेट्रो चीफ श्रीधरन का इस्तीफा शीला दीक्षित ने किया नामंजूर, मेट्रो हादसे पर आज दिल्ली कैबिनेट की बैठक


4. आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में मायावती की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के हलफनामे पर सुनवाई आज


5. अहमदाबाद जहरीली शराब की FSL रिपोर्ट से सनसनीखेज खुलासा, 48 फीसदी मिथाइल अल्कोहल ने ली 136 की जान


और

6. उद्धव ठाकरे एक बार फिर खेलेंगे मराठा कार्ड, म्हाडा के मुद्दे पर माहिम से बांद्रा तक निकालेंगे मोर्चा

July 03, 2009

ममता का रेल बजट


आज रेल मंत्री ममता बनर्जी ने रेल बजट संसद में पेश किया। उनके इस लोकलुभावन बजट से लोगों में जहां खुशी है वहीं विपक्ष ने भी इसका स्वागत किया है। लोगों के लिए सौगातों का पिटारा खोला

तत्काल सेवा

तत्काल सेवा के अंतर्गत रिजर्वेशन 5 दिन से घटाकर 2 दिन कर दी गई है। वहीं तत्काल चार्ज भी 150 घटाकर 100 रुपए किया गया है। किसी भी श्रेणी में पैसेंजर किराया में बढ़ोत्तरी नहीं, माल ढुलाई किराया में भी कोई बढ़ोत्तरी नहीं।

दूरांतो सेवा

नॉन स्टॉप दूरांतो सेवाओं को शुरू किया जाएगा। एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच एसी और नॉन एसी स्लीपर ट्रेनों को शुरू किया जाएगा। 1 दर्जन से अधिक नॉनस्टाप सेवा दूरांतो सेवा शुरू होगी- नई दिल्ली-जम्मूतवी, मुंबई-अहमदाबाद चेन्नई-दिल्ली, नई दिल्ली-लखनऊ, कोलकाता-मुंबई, दिल्ली-इलाहाबाद, दिल्ली-मुंबई, सियालदाह-नई दिल्ली, भुवनेश्वर-दिल्ली, एरनाकुलम-दिल्ली

नई ट्रेनें

विशाखपट्नम-सिकंदराबाद-मुंबई

पुणे डाउन शोलापुर सुपरफास्ट

अंबिकापुर-गांधीधाम-हावड़ा सुपरफास्ट

बिलासपुर-हैदराबाद, त्रिवेंद्र-तिरुनेल्वेली

12 नई नॉनस्टॉप ट्रेनों को कुछ शहरों में फरक्का-दिल्ली एक्सप्रेस, मुंबई-वाराणसी सुपरफास्ट, कोरापुट-राउरकेला, ग्वालियर-भोपाल इंटरसिटी वाया गुना

नई दिल्ली-गुवाहाटी राजधानी वाया मुजफ्फरनगर

रांची-पना जनशताब्दी

कानपुर-नई दिल्ली शताब्दी, शिमोगा-बैंग्लोर इंटरसिटी

कोलकाता मेट्रो का विस्तार होगा

कटरा-काजीगुंड के बीच रेल ट्रैक बिठाने के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया है।

गंगटोक-शिलॉन्ग लाइन स्टडी पूरी

53 नई लाइनों के लिए प्रस्ताव

ममता ने अपने अभिभाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि देश के दबे कुचले लोगों और राष्ट्र के विकास के लिए रेल कटिबद्ध है। रेलवे बदलाव के साथ चलेगी। और उसे सही बैलेंस के साथ चलने की जरूरत। उन्होंने ये भी कहा कि सामाजिक तौर पर जरूरी प्रोजेक्टों को शुरू करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया जाएगा और ऐसे प्रोजेक्ट के लिए पैसा कोई मुद्दा नहीं होगा। रेलवे में कैटरिंग, सही समय, खाना, रेलवे बोगियों की सफाई पर विशेष जोर दिया जाएगा। जनता साफ खाना और पानी देने पर विशेष जोर होगा।

50 विश्व स्तरीय सुविधाओंसे लैस रेलवे स्टेशन बनेंगे-

सीएसटी मुंबई, पुणे, नागपुर, हावड़ा, सियालदाह भुवनेश्वर, नऊ दिल्ली, लखनऊ, चेन्नई, गुवाहाटी, त्रिवेंद्रम, सिकंदराबाद, तिरुपुर, बैंगलोग सिटी, बैंगलोर, अहमदाबाद, हबीबगंड, आगरा, मथुरा, चंडीगढ़, कोलकाता, न्यू जलपाईगुड़ी, आनंदविहार, पुरी, कोच्ची।

370 में से 309 स्टेशनों पर विकास के कार्य होंगेI इन स्टेशनों पर मल्टी फंकशनल सेवाओं को शुरू किया जाएगा।

49 स्टेशनों का चुनाव धार्मिक और पर्यटन विशेषताओं के लिए चयनित कर विकसित किया जाएगा। अलीपुर, इलाहाबाद, बीकानेर, बिलासपुर, कटक, देहरादून, एरनाकुलम, गांधी धाम, घटशिला, हुजूर साहिब, हुबली, हैदराबाद, जबलपुर, जोधपुर, कन्याकुमारी, कटरा, खजुराहो, पल्लकडम, रायबरेली, तिरुचिरापल्ली, विशाखापट्टनम इत्यादि को इस कैटेगरी के अंतर्गत लाया जाएगा।

विकलांग और वृद्ध नाकरिकों के लिए सुविधाओं को लाया जाएगा। उनके लिए विशेष बोगियों का निर्माण कराया जाएगा।

विशेष पैकेज

लंबी दूरी की गाड़ियों में कम से कम एक डॉक्टर की तैनाती की जाएगी। लंबी दूरी की गाड़ियों, राजधानी और शताब्दी में मनोरंजन की व्यावस्था भी की जाएगी। रिलायंस इंफोकॉम, एडलैब्स, टाटा और सहारा टीवी से बात जारी।

पर्यावरण फ्रेंडली पेशाब घरों का ट्रायल जारी है। जल्द ही वैक्यूम ट्वायलट का उपयोग में लाया जाएगा।

200 बड़े और मध्यम स्टेशनों पर ऑटोमैटिक वेंडिंग मशीन को लगाया जाएगा। अब पैसेंजर 5, 000 पोस्ट ऑफिस से भी कंप्यूटराइज्ड टिकट खरीद सकते हैं। टिकटों के लिए मोबाइल वैन को भी लगाया जाएगा। इंटरसिटी यात्रा के लिए हाईकैपेसिटी डबर डेकर कोचों को शामिल किया जाएगा।

सुरक्षा

सुरक्षा रेलवे की सबसे उपर-130 स्टेशनों पर एक इंटीग्रेटेड सेक्टोरिटी सिस्टम को गठित किया जाएगा ताकि यात्रियों की सुरक्षा पुख्ता हो सके। एक कमांडो बटालियन को खड़ा किया जाएगा। इस बटालियन में महिलाओं की भी तैनाती होगी।

हर संसदीय सीट पर एक सेंट्रलाइज्ड रिजर्वेशन सिस्टम होगा।

पॉलिसी में बदलाव

रेलवे भर्ती बोर्ड की पॉलिसियों में बदलाव होंगे। बैकलॉग द्वारा एसएसटी सीटों को भरा जाएगा। कर्मचारियों की बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ती का प्रयोजन

खिलाड़ियों को रिक्रूटमेंट में हिस्सा। सैम पित्रोदा के नेतृत्व में एक कमिटी का गठन किया जाएगा ताकि ऑप्टिकल फाइबर के उन्नत केबल के इस्तेमाल किया जा सके। रेलवे के प्रिटिंग प्रेसों को उन्नत किया जाएगा। रेलवे मल्टी फंकशनल कॉम्प्लेक्सों का निर्माण करेगी। इनमें शॉपिंग मॉल्स, फूड स्टाल्स, दवा की दुकानों के साथ साथ कई प्रकार के अन्य स्टोरों को देश भर में खोला जा एगा। पूर्वी और पश्चिमी कॉरिडोर के लिए मेगा लॉजिस्टीक हब बनाने का प्लान। कोल्ड स्टोरेड की स्थापना को रेलवे बढ़ावा देगा। वेटिंग लिस्ट के टिकटों के एसएमएस अपडेट सेवा शुरू की जाएगी।

जमीन बैंक

जमीन बैंक को शुरू करेगा और उसका उपयोग देश के विकास और कारखाने लगा में किया जाएगा। काचरापारा में राज्य के साथ मिलकर 500 ईएमयू और एमएमयू की सुविधाओं से लैस किया जाएगा। राज्यों के साथ मिलकर नई कोच फैक्टरियों को गठित किया जाएगा। झारखंड और ,बंगाल की सीमा पर एनटीपीसी के साथ मिलकर 1000 मेगावॉट का पॉवर प्लांट लगाया जाएगा। भारी उद्योग विभाग के मिलकर खराब पड़े वैगनों का फिर से निर्माण कराया जाएगा। दिल्ली-चेन्नई और दिल्ली-मुंबई के बीच सुपरफास्ट पार्सल ट्रेनों को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू होगा। असंगठित क्षेत्र के उन लोगों के लिए जिनकी मासिक आय 1000 रुपए से कम है को 25 रुपए मासिक टिकट दर पर इज्जत नाम से नई स्कीम की शुरूआत की जाएगी। प्रेस के कॉरेपॉन्डेंय्स के लिए रेलवे टिकट में कंशेसन दिया जाएगा। ये कंसेशन साल में एक बार यात्रा के लिए 30 से बढ़कर 50 प्रतिशत तक कर दिया गया है। मदरसों के बच्चों को भी स्टूडेंट कंसेशन स्कीम के अंतर्गत लाया जाएगा।

कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई में लेडीज स्पेशल ट्रेनों को चलाया जाएगा। 299और 399 रुपे किराए की एयरकंडीशन्ड युवा ट्रेनों को शुरू किया जाएगा।

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