काफी जद्दोजहद और वाद विवाद के बाद आखिरकार रीता बहुगुणा जोशी को जमानत मिल ही गई। इस हाईप्रोफाइल गालीगलौज का पटाक्षेप इससे बेहतर और कुछ शायद राजनीतिक पंडितों ने नहीं सोचौ होगा। या फिर यूं कहें कि इस गालीगलौज के नाटक की स्क्रिप्टिंग इससे बेहतर नहीं हो सकती था। इस विवाद से एक बात तो सामने आ गई कि गाली गलौज करने के मामले में कांग्रेस भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का फेहरिस्त में शामिल हो गई। हालांकि इस सब में एख शख्स ऐसा था जिसे सिर्फ रीता की जमानत से मतलब था। उसे इस कांड पर होरही राजनीति से कोई लेनादेना नहीं था। वो कोई औऱ नहीं रीता का बेटा मयंक था। मां रीता बहुगुणा को जमानत मिलने के बाद बेटा मयंक भी बेहद खुश नजर आया। सुबह मां से जब मिलने मयंक गया था, तब वो बिल्कुल अकेला था। उसके साथ कांग्रेस के एक भी नेता नहीं था। लेकिन इस वक्त खुशी के लम्हे में वो भीड़ से घिरा था।
इससे पहले आज लखनऊ में रीता की रिहाई और उनके घर पर आगजनी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कांग्रेसियों ने प्रदर्शन किया था। दूसरी तरफ वाराणसी में भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी इन्हीं मांगों को लेकर प्रदर्शन किया।
रीता बहुगुणा को जमानत मिलने के बाद अब कांग्रेस के निशाने पर पूरी तरह से माया सरकार और उसके विधायक होंगे। कांग्रेस की पूरी कोशिश होगी कि रीता बहुगुणा के घर आग लगाने वाले मुद्दे को हवा दी जाए। और उसके लिए केंद्र सरकार किसी भी मामले में बैकफुट पर आने के मूड में नहीं दिख रही है। अपनी पॉवर और पहुंच का फायदा उठाते हुए सरकारी तंत्र पूरी तरह से मीडिया को अपनी गिरफ्त में ले चुका है। सभी प्राइवेट चैनलों पर इस बात की पूरी ताकीद कर दी गई है कि इस मुद्दे को हाथ से ना निकलने दिया जाए। और साथ ही आरोपी बीएसपी विधायक की गिरफ्तारी के लिए सरकार और पुलिस को मजबूर किया जाए। यहां ये याद दिला दें कि रीता बहुगुणा के घर में आग लगाने के मामले में एक बीएसपी विधायक के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। आरोपी विधायक का नाम जीतेंद्र सिंह बबलू है। जीतेंद्र सिंह यूपी के बीकापुर से बीएसपी विधायक हैं। इनके अलावा एक बीएसपी नेता इंतज़ार आब्दी और विधायक जीतेंद्र सिंह के कुछ समर्थकों के के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
लखनऊ में यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रीता बहुगुणा के घर 15 जुलाई की रात कुछ लोगों ने आग लगा दी थी। आगजनी की इस घटना में रीता के घर का ज्यादातर सामान और 4 कारें जलकर राख हो गई थीं। रीता और उनके समर्थकों ने आगजनी के लिए बीएसपी कार्यकर्ताओं और विधायक जीतेंद्र सिंह पर आरोप लगाया था। लेकिन शुरू में मायावती ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि आगजनी के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। लेकिन अब बीएसपी विधायक पर केस दर्ज होने से धीरे-धीरे सच्चाई सामने आने लगी है।
मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल के आरोप में 14 दिन की न्यायिक हिरासत काट रहीं रीता बहुगुणा की जमानत याचिका पर आज फिर सुनवाई होगी। शुक्रवार को रीता की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी लेकिन सर्विस टैक्स के मुद्दे को लेकर वकील हड़ताल पर थे। जिसकी वजह से रीता की जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी थी।
जहरीली जबान बोलने पर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजी गई रीता क्या आज जेल से बाहर आईं। जो अडंगा शुक्रवार को लग गया था, वो आज भी कायम था लेकिन भाग्य की धनी या फिर सियासत की धनी रीता को आखिर जमानत मिल ही गई। रीता पर अभद्र भाषा के इस्तेमाल के अलावा एससी एसटी एक्ट एक्ट का मामला है। हालांकि उनके वकीलों को भरोसा है कि अगर सुनवाई हुई तो रीता पर लगे आरोप स्टैंड नहीं कर पाएंगे, और हुआ भी वही।
July 18, 2009
कौमार्य परीक्षण या बेइज्जती
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में लड़कियों के कौमार्य परीक्षण पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। दो आदिवासी लड़कियों ने शहडोल जिले के पूर्व कलेक्टर समेत तीन अफसरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। सरोज और आरती नाम की इन गरीब लड़कियों की अर्जी चौंकाने वाली है। लड़कियों ने आरोप लगाया है कि जबरन उनका कौमार्य परीक्षण किया गया।
सरोज और आरती उन 150 गरीब लड़कियों में शामिल हैं जिनका साढ़े छह हज़ार रूपये के सरकारी दहेज की खातिर मेडिकल टेस्ट किया गया। आरोप है कि टेस्ट के नाम पर उनके साथ शर्मनाक सुलूक किया गया। एससी/एसटी थाने में सरोज ने शिकायत की है कि मेडिकल टेस्ट को मना करने पर CEO संतोष पटेल ने कहा कि बैगा आदिवासी लड़कियों का क्या भरोसा कि वो कुंवारी हैं या गर्भवती।
फिर महिला चिकित्सक ने उसका मेडिकल चेकअप किया। इससे वो खुद को अपमानित महसूस कर रही है। सरोज की पूरी शिकायत को सहां लिखा नहीं जा सकता। लेकिन उसका एक एक लफ्ज सरकारी अफसरों की बेशर्मी बयान कर रहा था। दूसरी लड़की आरती ने भी बताया कि कैसे शिवराज के राज में लड़कियों के साथ बुरा बर्ताब किया गया। उसका कहना था कि उसके पेट पर हाथ रखकर लेडी डॉक्टर ने चैक किया। उसे ऐसा करना अच्छा नहीं लगा। मुख्यमंत्री बहू बेटी मानते हैं औऱ ऐसा काम करवाते हैं।
सोहागपुर में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत घर बसाने आईं 150 लड़कियों में से 138 को शादी के सरकारी मंडप में तब बैठने की इजाजत मिली जब ये तय हो गया कि वो गर्भवती नहीं हैं। बारह लड़कियां मंडप में नहीं बैठ पाईं क्योंकि वो गर्भवती थीं।
शिकायत के बाबजूद पुलिस ने अब तक कोई मामला दर्ज नहीं किया है। वो सिर्फ जांच का राग अलाप रही है। उनका कहना है कि पूर्व कलेक्टर, जनपद पंचायत के सीईओ औऱ समाज कल्याण कल्याण के खिलाफ़ शिकायत आई है वो जांच कर रहे हैं फिर कार्रवाई करेंगे।
हद तो तब हो गई जब हंगामा मचते ही मध्यप्रदेश महिला आयोग ने तुंरत शिवराज सरकार को क्लीन चिट दे दी। अब राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम शहडोल में लड़कियों के बयान दर्ज कर रही है। और लड़कियां शिकायत की अर्जी लिए शिवराज के अफसरों की तरफ ताक रही हैं कि शायद उन्हे इंसाफ मिल सके। हिन्दुस्तान की संस्कृति औऱ अस्मिता की दुहाई देने वाली बीजेपी। वो हिन्दुस्तान जिसमें औरत को देवी का दर्जा मिलता है। लेकिन शिवराज के राज में अफ़सरों ने दुनिया को दिखा दिया है कि वो औऱत का कितना सम्मान करते हैं।
Subscribe to:
Posts (Atom)