ना बारिश है भींगने को
ना दाना है खाने को
ना पानी है पीने को ना ही सींचने को
सावन निकल गया सूखा
भादो को भी नहीं मलाल
रस्ता भटक गए हैं बादल
सियासत मची है फ्लू पर
पर नहीं ख्याल इस सूखे का
इस खतरे के पार है
बढ़ा एक और खतरा
शहर में मौत फैलाती स्वाइन फ्लू
गांव मरता सूखे से
कौन है खुदा कौन है राम
गर कोई है सृष्टि में
कोई बचाए हरिजन को
August 11, 2009
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