महिलाओं के लिए बेहद सुरक्षित कहे जाने वाले शहर मुंबई में ही महिलाएं सुरक्षित नहीं है। घाटकोपर स्टेशन पर रात के अंधेरे में एक 25 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया गया। हैरानी की बात ये है कि पूरी वारदात सीसीटीवी में कैद हो गई। लेकिन वारदात के दौरान पुलिस सोती रही। अब अपनी नाकामी को छुपाने के लिए पुलिस सौ बहाने बना रही है।
मुंबई के स्टेशन महफूज नहीं, यहां कुछ भी हो सकता है, आतंकी हमला भी, और न तो यहां लगे सीसीटीवी कैमरे काम आ पाएंगे, और न ही मुंबई पुलिस का कंट्रोल रूम, सीसीटीवी की एक धुंधली सी तस्वीर मुंबई पुलिस की पोल खोलने के लिए काफी है। ये तस्वीर है घाटकोपर स्टेशन की। तारीख 19 जुलाई और समय रात के 3.30 बजे। घाटकोपर स्टेशन के भीतर ही एक लड़की की इज्जत तार तार कर दी गई और पुलिस कुछ नहीं कर पाई। ये हाल तब का है जब इस अज्ञात शख्स की एक एक नापाक हरकत सीसीटीवी में कैद हो रही थी। बलात्कार की शिकार लड़की मदद की गुहार लगाती रही। लेकिन कोई भी पुलिसवाला इसकी मदद के लिए नहीं आया। जबकि घाटकोपर स्टेशन पर नजर रखने के लिए कई सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। और सीसीटीवी पर कैद हो रही तस्वीर को देखने के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम में एक दर्जन से ज्यादा अधिकारियों को रखा गया है।
रेलवे पुलिस के एसीपी का बयान आया कि ये घटना 19 तारिक की है स्टेशन के हद्द में ही एक लड़की के साथ बलात्कार की घटना सामने आई है। लड़की फिलहाल कुछ बोलने की हालत में नहीं है। दरसल उस रात एक अनजान शख्स ने उसके साथ न सिर्फ बलात्कार किया है बल्कि उसने खुद ही उसे अस्पताल तक पहुंचाया है।
बलात्कार की पीड़ित ये लड़की औरंगाबाद से यहां नौकरी की तलाश में आई थी। लेकिन कोई ठिकाना न मिलने पर वो स्टेशन में ही रूक गई। उसके बाद इस गुमनाम शख्स ने इसके साथ पहले तो ज्यातकी की। और बाद में स्टेशन के ही ब्रिज पर जाकर बलात्कार किया। हालांकि अब पुलिस दावा कर रही है कि उसके पास कई सबूत हैं और वो जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लेगी। लेकिन कई दिन गुजरने के बाद भी आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
अब सवाल है की रात के अँधेरे में एक शख्स किसी लड़की की इज्ज़त तकलूट लेता है। और इसकी भनक तक पुलिस को नहीं लगती है। ज़रा सोंचिये जो पुलिस अपने आस पास एक लड़की को लूटिती इज्ज़त नहीं बचा सकी वो आतंकियों और दुसरे खतरों से कैसे निपटेगी।
July 24, 2009
प्रेमी जोड़े का मुंडन
महाराष्ट्र के नागपुर जिले का सच। परंपरा के नाम पर वहां जो कुछ हुआ वो इंसान की निगाहें नीची करने वाला है।
वो पहले से शादी शुदा थे। लेकिन शादी के बाद भी वो एक दूसरे के प्यार में पड़ गए। भगत के चार बच्चे हैं। ताराबाई भी चार बच्चों की मां है। लेकिन भगत ने अपनी पत्नी को छोड़ा और ताराबाई ने अपने पति को। दोनों प्यार में पड़कर गांव से भाग गए। दोनों ने शादी कर ली।
समाज की नजर में ये गलत है। कानून की नजर में तो ये गलत है ही। लिहाजा कार्रवाई भी कानूनी होनी चाहिए थी। मुकदमा होना चाहिए था। लेकिन हुआ क्या।
शादी के ताराबाई और भगत वापस नागपुर के अपने गांव में पहुंचे। फिर क्या था। पंचायत ने पकड़ लिया। और लगी अपने तरीके से फैसला सुनाने। न पुलिस। न कानून। सीधा पंचायत की तरफ से सजा। पंचायत ने सरेआम दोनों का सर मुंडा दिया। पंचायत के अध्यक्ष का कहना था कि इन्होनें भाग के शादी की थी, यह गुनाह था. जिसके वजह से पंचो नें मुंडन करने का आदेश दिया। हमेशा की तरह इस मामले में भी पुलिस देर से पहुंची। गनीमत थी कि पंचायत ने सिर्फ सिर मुड़ाने का ही आदेश दिया। नहीं तो इस देश की पंचायते को किसी भी तरह के फैसले दे सकती है। हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दर्जनों उदाहरण आपके सामने है। बहरहाल पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि आखिर इस मामले में कानून का कहां उलंघन हुआ है। इनके साथ कोई जबरदस्ती नही हुई है, उन्होंने पंचायत के आदेश के बाद खुद ही मुंडन। पुलिस का कहना है भगत और ताराबाई के साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं हुई है। उन्होंने खुद मुंडन किया है। लेकिन सवाल ये है आखिर सरेआम किसी पुरुष और महिला का सिर कैसे मुंडाया जा सकता है। क्या ये उनकी मानहानि नहीं। क्या दोनों की शादी पुलिस का मामला नहीं था। फिर इसमें पंचायत कहां से आ गई।
वो पहले से शादी शुदा थे। लेकिन शादी के बाद भी वो एक दूसरे के प्यार में पड़ गए। भगत के चार बच्चे हैं। ताराबाई भी चार बच्चों की मां है। लेकिन भगत ने अपनी पत्नी को छोड़ा और ताराबाई ने अपने पति को। दोनों प्यार में पड़कर गांव से भाग गए। दोनों ने शादी कर ली।
समाज की नजर में ये गलत है। कानून की नजर में तो ये गलत है ही। लिहाजा कार्रवाई भी कानूनी होनी चाहिए थी। मुकदमा होना चाहिए था। लेकिन हुआ क्या।
शादी के ताराबाई और भगत वापस नागपुर के अपने गांव में पहुंचे। फिर क्या था। पंचायत ने पकड़ लिया। और लगी अपने तरीके से फैसला सुनाने। न पुलिस। न कानून। सीधा पंचायत की तरफ से सजा। पंचायत ने सरेआम दोनों का सर मुंडा दिया। पंचायत के अध्यक्ष का कहना था कि इन्होनें भाग के शादी की थी, यह गुनाह था. जिसके वजह से पंचो नें मुंडन करने का आदेश दिया। हमेशा की तरह इस मामले में भी पुलिस देर से पहुंची। गनीमत थी कि पंचायत ने सिर्फ सिर मुड़ाने का ही आदेश दिया। नहीं तो इस देश की पंचायते को किसी भी तरह के फैसले दे सकती है। हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दर्जनों उदाहरण आपके सामने है। बहरहाल पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि आखिर इस मामले में कानून का कहां उलंघन हुआ है। इनके साथ कोई जबरदस्ती नही हुई है, उन्होंने पंचायत के आदेश के बाद खुद ही मुंडन। पुलिस का कहना है भगत और ताराबाई के साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं हुई है। उन्होंने खुद मुंडन किया है। लेकिन सवाल ये है आखिर सरेआम किसी पुरुष और महिला का सिर कैसे मुंडाया जा सकता है। क्या ये उनकी मानहानि नहीं। क्या दोनों की शादी पुलिस का मामला नहीं था। फिर इसमें पंचायत कहां से आ गई।
इस जंगलराज के आगे सब बेबस क्यों बन जाते हैं
इस देश में कुछ भी हो सकता है। देखिए प्रेमी जोड़े अपनी मर्जी से शादी भी नहीं कर सकते हैँ। कहीं जात, कहीं गोत्र तो कहीं धर्म। प्रेमी जोडों को लोग अपने हिसाब से सबक सिखा रहे हैं। जिसका जैसे मन हो रहा है अपने हिसाब से इंसाफ कर रहा है। हम आपको एक बदहाल प्रेमी जोड़े की कुछ तस्वीरें दिखाने जा रहे हैं।
उत्तराखंड के काशीपुर जिले में प्रेमी जोड़े की न्यायालय परिसर में पिटाई की गई। हैरान हो गए न पढ़कर आप। पिटाई न सिर्फ कोर्ट परिसर में हुई बल्कि पिटाई के वक्त पुलिस भी मौजूद थी। लेकिन पुलिस चुपचाप देखती रही।
जानते हैं पीटने वाले कौन लोग हैं। चश्मदीदों के मुताबिक ये लोग एबीवीपी यानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हैं। यानि बीजेपी की छात्र इकाई के कार्यकर्ता। जाहिर है मोहब्बत के लिए इनकी जुबान भी भगवा ही होगी। सुनिए आप भी।
आरिफ और मीना नाम का ये प्रेमी जोड़ा कोर्ट में शादी करने आया था। लेकिन शादी से पहले ही वहां पुलिस और एबीवीपी के लोग पहुंच गए। चश्मदीदों और स्थानीय लोगों की माने तो पुलिस ने लड़की को उसके घरवालों को सौंपने की पूरी कोशिश की। लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुई। वो बार बार आरिफ से शादी की जिद कर रही थी। बस यही बात वहां मौजूद विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को नागवार गुजरी। एबीवीपी शुरु से ही मोहब्बत के इस किस्से को मजहबी रंग देने की कोशिश कर रही थी। इसिलिए ठीक शादी के दिन उसने कोर्ट में अपनी खूब मनमानी की। लोग तमाशबीन बने रहे।
कैसे अपनी राजनीति चमकाने के लिए एबीवीपी के कार्यकर्ता समाज के ठेकेदार बन गए पुलिस के सामने ही मीना और आरिफ को प्यार की सजा देते रहे। पुलिस देखती रही और दोनों पिटते रहे। आरिफ की तो कार्यकर्ताओं ने काफी पिटाई कर दी। इसके बाद आरिफ पर पुलिस का कहर भी टूटा। फिलहाल वो पुलिस लॉकअप में बंद है। पुलिस ने आरिफ पर ही धारा 151 यानि शांति भंग करने का मामला दर्ज कर उसे जेल में डाल दिया है। जबकि इसे पीटने वाले अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।
ये है इस देश का सच। न्यायालय अंदर और पुलिस की मौजूदगी में भी कोई सुरक्षित नहीं है। जो कैमरे पर नजर आ रहा है पुलिस उसे भी झूठ मान रही है। जो दबंग है उनके खिलाफ कार्रवाई से बच रही है। जबकि एक प्रेमी को सलाखों के पीछे धकेल दिया गया। यहां मोहब्बत गुनाह है। कानून की शरण में जाना और भी बड़ा जुर्म और वहां जाकर भी बच गए तो बाहर ऐसे न जाने कितने तालिबानी हाथ इंतजार कर रहे होंगे।
उत्तराखंड के काशीपुर जिले में प्रेमी जोड़े की न्यायालय परिसर में पिटाई की गई। हैरान हो गए न पढ़कर आप। पिटाई न सिर्फ कोर्ट परिसर में हुई बल्कि पिटाई के वक्त पुलिस भी मौजूद थी। लेकिन पुलिस चुपचाप देखती रही।
जानते हैं पीटने वाले कौन लोग हैं। चश्मदीदों के मुताबिक ये लोग एबीवीपी यानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हैं। यानि बीजेपी की छात्र इकाई के कार्यकर्ता। जाहिर है मोहब्बत के लिए इनकी जुबान भी भगवा ही होगी। सुनिए आप भी।
आरिफ और मीना नाम का ये प्रेमी जोड़ा कोर्ट में शादी करने आया था। लेकिन शादी से पहले ही वहां पुलिस और एबीवीपी के लोग पहुंच गए। चश्मदीदों और स्थानीय लोगों की माने तो पुलिस ने लड़की को उसके घरवालों को सौंपने की पूरी कोशिश की। लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुई। वो बार बार आरिफ से शादी की जिद कर रही थी। बस यही बात वहां मौजूद विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को नागवार गुजरी। एबीवीपी शुरु से ही मोहब्बत के इस किस्से को मजहबी रंग देने की कोशिश कर रही थी। इसिलिए ठीक शादी के दिन उसने कोर्ट में अपनी खूब मनमानी की। लोग तमाशबीन बने रहे।
कैसे अपनी राजनीति चमकाने के लिए एबीवीपी के कार्यकर्ता समाज के ठेकेदार बन गए पुलिस के सामने ही मीना और आरिफ को प्यार की सजा देते रहे। पुलिस देखती रही और दोनों पिटते रहे। आरिफ की तो कार्यकर्ताओं ने काफी पिटाई कर दी। इसके बाद आरिफ पर पुलिस का कहर भी टूटा। फिलहाल वो पुलिस लॉकअप में बंद है। पुलिस ने आरिफ पर ही धारा 151 यानि शांति भंग करने का मामला दर्ज कर उसे जेल में डाल दिया है। जबकि इसे पीटने वाले अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।
ये है इस देश का सच। न्यायालय अंदर और पुलिस की मौजूदगी में भी कोई सुरक्षित नहीं है। जो कैमरे पर नजर आ रहा है पुलिस उसे भी झूठ मान रही है। जो दबंग है उनके खिलाफ कार्रवाई से बच रही है। जबकि एक प्रेमी को सलाखों के पीछे धकेल दिया गया। यहां मोहब्बत गुनाह है। कानून की शरण में जाना और भी बड़ा जुर्म और वहां जाकर भी बच गए तो बाहर ऐसे न जाने कितने तालिबानी हाथ इंतजार कर रहे होंगे।
इसे कबूलने के लिए जिगर चाहिए
हरियाणा के जींद में हुआ वेदपाल का कत्ल। 14 पुलिसवालों की मौजूदगी में कल वेदपाल का कत्ल कर दिया गया था। उसके बाद पुलिस के आला अधिकारी मौके का मुआयना करने पहुंचे और जानते हैं उस वक्त उनके साथ कौन था। उनके साथ हर पल साए की तरह घूम रहा था एक शख्स। वो शख्स कोई और नहीं वेदपाल के कत्ल का आरोपी था। और उससे भी बड़ी बात ये कि उसे अबतक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
बात सिर्फ एक दिन पुरानी है। हरियाणा के जींद में कल इसी जगह पर एक पति को पीट पीट कर मार डाला गया था। उस शख्स का नाम था वेदपाल। वेदपाल का कसूर सिर्फ इतना था कि हाईकोर्ट के आदेश पर ,पुलिस पार्टी के साथ वो यहां अपनी पत्नी को साथ ले जाने आया था। लेकिन 14 पुलिसवाले भी उसकी हिफाजत न कर सके। मोहब्बत के दुश्मनों ने न सिर्फ एक लड़की को विधवा बना दिया बल्कि एक पुलिसवालों की मौजूदगी में एक पति का कत्ल भी कर डाला। हत्या का आरोप सोनिया के पिता पर है। बताते चले कि उसे अभी तक पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया गिरफ्तार करना तो दूर पुलिस उसको बचाने में जुटी है।
अब आप ही बताएं कि इसे पुलिस का नकारापन न कहें तो और क्या कहें। आखिर ये कैसी हरियाणा पुलिस हो जो पहले तो कत्ल के आरोपी को साथ लेकर घूमती है और फिर उसे गिरफ्तार तक नहीं करती। ये हालत तो तब है जब वेदपाल के कत्ल के मामले में एक एसएचओ को सस्पेंड कर एसपी को भी ट्रांसफर कर दिया गया है। लेकिन वेदपाल के कत्ल के आरोपी को अबतक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ये समझ से परे है। जाहिर है ऐसे में सवाल उठने लाजिमी हैं। सवाल ये कि जब तस्वीरें साफ बयां कर रही हैं कि पुलिस आरोपी को साथ लेकर घूम रही है तो क्यों नहीं उसे अबतक गिरफ्तार किया गया। क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव है या फिर कोई और बात है।
हरियाणा सरकार को इस बात का जवाब देना ही होगा कि उसकी नकारा पुलिस क्यों नहीं वेदपाल के कत्ल के आरोपी को गिरफ्तार कर रही। आखिर इसके पीछे क्या वजह है। क्योंकि ऐसा आजतक नहीं हुआ कि पुलिस एक आरोपी को साथ लेकर घूमे और फिर भी उसे गिरफ्तार न करे।
पड़ोस के राज्य पंजाब की भी हालत कुछ खास नहीं हैं। हालत तो ये है कि एक ही उल्लू काफी है बरबाद-ए-गुलिस्तां करने को, यहां हर शाक पर उल्लू बैठे हैं अंजा-ए- गुलिस्ता क्या होगा। मोहब्बत के नर्क में एक गोली चली और एक मां कुर्बान हो गई। ये दास्तान है पंजाब के पटियाला की जहां गोली चली तो थी पति और पत्नी को मारने के लिए लेकिन एक मां उसके रास्ते में आ गई। नतीजा, अपने बेटे और बहू को बचाने के लिए वो मां कुर्बान हो गई। वो मां तो मर गई लेकिन एक सवाल छोड़ गई कि आखिर कब तक मोहब्बत के नर्क में चलती रहेंगी गोलियां।
बात सिर्फ एक दिन पुरानी है। हरियाणा के जींद में कल इसी जगह पर एक पति को पीट पीट कर मार डाला गया था। उस शख्स का नाम था वेदपाल। वेदपाल का कसूर सिर्फ इतना था कि हाईकोर्ट के आदेश पर ,पुलिस पार्टी के साथ वो यहां अपनी पत्नी को साथ ले जाने आया था। लेकिन 14 पुलिसवाले भी उसकी हिफाजत न कर सके। मोहब्बत के दुश्मनों ने न सिर्फ एक लड़की को विधवा बना दिया बल्कि एक पुलिसवालों की मौजूदगी में एक पति का कत्ल भी कर डाला। हत्या का आरोप सोनिया के पिता पर है। बताते चले कि उसे अभी तक पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया गिरफ्तार करना तो दूर पुलिस उसको बचाने में जुटी है।
अब आप ही बताएं कि इसे पुलिस का नकारापन न कहें तो और क्या कहें। आखिर ये कैसी हरियाणा पुलिस हो जो पहले तो कत्ल के आरोपी को साथ लेकर घूमती है और फिर उसे गिरफ्तार तक नहीं करती। ये हालत तो तब है जब वेदपाल के कत्ल के मामले में एक एसएचओ को सस्पेंड कर एसपी को भी ट्रांसफर कर दिया गया है। लेकिन वेदपाल के कत्ल के आरोपी को अबतक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ये समझ से परे है। जाहिर है ऐसे में सवाल उठने लाजिमी हैं। सवाल ये कि जब तस्वीरें साफ बयां कर रही हैं कि पुलिस आरोपी को साथ लेकर घूम रही है तो क्यों नहीं उसे अबतक गिरफ्तार किया गया। क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव है या फिर कोई और बात है।
हरियाणा सरकार को इस बात का जवाब देना ही होगा कि उसकी नकारा पुलिस क्यों नहीं वेदपाल के कत्ल के आरोपी को गिरफ्तार कर रही। आखिर इसके पीछे क्या वजह है। क्योंकि ऐसा आजतक नहीं हुआ कि पुलिस एक आरोपी को साथ लेकर घूमे और फिर भी उसे गिरफ्तार न करे।
पड़ोस के राज्य पंजाब की भी हालत कुछ खास नहीं हैं। हालत तो ये है कि एक ही उल्लू काफी है बरबाद-ए-गुलिस्तां करने को, यहां हर शाक पर उल्लू बैठे हैं अंजा-ए- गुलिस्ता क्या होगा। मोहब्बत के नर्क में एक गोली चली और एक मां कुर्बान हो गई। ये दास्तान है पंजाब के पटियाला की जहां गोली चली तो थी पति और पत्नी को मारने के लिए लेकिन एक मां उसके रास्ते में आ गई। नतीजा, अपने बेटे और बहू को बचाने के लिए वो मां कुर्बान हो गई। वो मां तो मर गई लेकिन एक सवाल छोड़ गई कि आखिर कब तक मोहब्बत के नर्क में चलती रहेंगी गोलियां।
कांटों की तरह उगा हुआ सच
सवा अरब हिंदुस्तानियों के बीच में कांटों की तरह उगा हुआ सच
बिहार की वो खबर से जो मानवता के नाम पर कलंक है। यहां एक लड़की को सरेआम अधनंगा कर दिया गया। लोग देखते रहे। अभी तक इस मामले में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्रवासन दिए जा रहे हैं। बिहार विधानसभा में आज जमकर बवाल हुआ। सिर्फ लोगों को सस्पेंड किया गया।
देश का ये शर्म पूरी दुनिया ने देखा। हिंदुस्तान की सड़क पर सैकड़ों हजारों लोगों के सामने एक महिला का चीर हरण हुआ। लोग नपुंसक बन गए।
ऐसी शर्मनाक घटना जिसकी कल्पना भी रूह कंपा दे। ऐसी घिनौनी हरकत जिस देखकर इंसान होने पर शर्म आए। ऐसी विकृत मानसिकता जिस पर उबकाई आए। लेकिन इस शर्म से सिर्फ पटना, बिहार ही नहीं पूरा देश रुबरु हुआ। भीड़ एक महिला का तमाशा बनाती रही। एक सनकी महिला के कपड़े खींचता रहा। तबतक जबतक वो अधनंगी नहीं हो गई। लेकिन तमाशा चलता रहा। चलता रहा। न पुलिस, न समाज के ठेकेदार, न आम लोग। किसी की आत्मा नहीं कलपी। इस महिला को बचाने के लिए कोई कृष्ण नहीं आया। और अब जबकि ये मामला पूरे देश के सामने आ गया है इस पर कार्रवाई शुरु हो चुकी है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांग ली है। राज्य महिला आयोग भी अब तेजी दिखाने लगी। जबकि इलाके के थाने के एक एएसआई को निलंबित किया जा चुका है। महिला के साथ बदसलूकी करने वाले लड़के को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन इन लोगों का क्या होगा। जो इस पूरे मौके का फायदा उठा रहे थे। पुलिस ने भीड़ में मौजूद कई हैवानों को न तो अभी तक हिरासत में लिया है और नही गिरफ्तार किया है। लेकिन मुंख्यमंत्री नीतीश कुमार दावा कर रहे हैं कि कार्रवाई हो रही है।
तो क्या केवल पुलिस वालों को सस्पेंड कर देना ही कार्रवाई है। आखिर भीड़ में शामिल लोगों पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इतने देर तक ये तमाशा चलता रहा तो उसकी गाज सिर्फ एक पुलिस वाले पर क्यों गिरी। क्या कानून व्यस्था की जिम्मेदारी पूरे थाने पर नहीं है। बहरहाल अब विपक्ष में भी इस मुद्दे पर अपने हाथ आजमाने शुरु कर दिया है। विपक्षी नेताओं ने बिहार विधान सभा और विहार विधान परिषद के बाहर जमकर हंगामा किया। खास तौर से महिलाओं ने अपना जोरदार विरोध दर्ज करवाया।
इस शर्मनाक घटना ने बिहार में गुस्से की लहर दौड़ा दी है। आरजेडी के कार्यकर्ताओं ने भी अपना गुस्सा जाहिर किया। हैरानी की बात। सैकड़ों हजारों लोगों के सामने ये वाकया हुआ। लेकिन उस वक्त कोई नजर नहीं आया। सब तमाशबीन बने रहे। लेकिन अब इसपर राजनीति की रोटियां सेकने में मशगूल हैं। इन सब के बीच उस लड़की का हाल चाल जानने तक कोई नहीं पहुंचा। नहीं किसी घावों पर मरहम लगाने की कोशिश की। ये बिहार की ही नहीं देश के कई हिस्सों की सच्चाई है। बिहार में तो ये सच्चाई सिर्फ अधनंगी हुई। जिसे लोगों ने कुछ देर के मनोरंजन का साधन बना लिया।
अत्याचार का ये तमाशा रुका नहीं, गुरुवार को जो हुआ वो सबने देखा। पटना में आज फिर एक शर्मनाक घटना घटी। फर्क सिर्फ इतना था कि पिटने वाली बदल गई थी, अबकी बार बारी थी एक बुजुर्ग महिला की। पीटने वाले भी पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं थीं। इस बार भी पुलिस की नाकामी साफ नजर आई। जब महिला की पिटाई हो रही थी तो उस वक्त मीडिया तो वहां थी लेकिन पुलिस नहीं थी।
पटना एक शर्म से उबरा भी नहीं था। कि उसे दूसरे शर्म ने घेर लिया। पहले सरेआम एक लड़की का चीरहरण कर पुरुषों ने इंसानियत को हरा कर जीत हासिल की। फिर भला महिलाएं भी क्यों पीछे रहे। देखिए किस उम्र की महिला पर सरेआम वो अपना हाथ आजमा रही है।
हैरत और शर्म से भरी हुई ये महिला पिटती जा रही है। लोगों ने इस परे आरोप लगाया है कि इसने मंदिर से चोरी की है।
ये महिला मंदिर के एक पास के एक मुहल्ले में रहने वाली है। हैरत की बात है महिला के पिटते वक्त मीडिया पहुंच गई लेकिन पुलिस वहां नहीं पहुंची। इस महिला की सरेआम बेइज्जती। पटना को शर्मसार करने वाली एक और घटना।
आखिर क्या कहेंगे इसे आप। अगर इस महिला ने चोरी की है तो उसे कानून के हवाले करना चाहिए। या फिर खुद अपने हाथों से ही उसे इंसाफ देने लग जाना चाहिए। जो नजर आ रहा है क्या वही है समाज। क्या यही है सभ्यता।
आप ही बताइये नीतीश जी। आप के सुशासन में ये क्या हो रहा है। मीडिया पहुंच जाती है लेकिन पुलिस वाले नहीं पहुंचते। आखिर क्यों। क्या आप के राज में महिलाओं के साथ ऐसा ही व्यवहार होता रहेगा।
मुख्यमंत्री से जब इस बारे में बात की की गई तो वो भी वही रटेरटाए बयान दे पल्ला झाड़ लिया। नीतीश कुमार का कहना था कि दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा, स्पीडी ट्रायल के माध्यम से जल्द से जल्द कारवायी होगी।
लेकिन असलियत तो ये है कि लोगों को पुलिस और कानून पर कोई भरोसा ही नहीं रह गया है। इसलिए उन्हें कानून अपने हाथ में लेने में मजा आने लगा है। इसलिए पहले जरुरत है कि पहले पुलिस और कानून में लोगों का भरोसा बढ़ाना होगा। लोगों में पुलिस और कानून का डर जताना होगा। तब कहीं जाकर ऐसी घटनाएं रुकेंगी। नहीं तो ये होता रहेगा। और बयानों का दौर चलता रहेगा। स्पीडी ट्रायल के माध्यम से कुछ चंद लोगो को सजा दिलाकर बिहार के मुख्यमंत्री भले ही अपना पीठ खुब थप-थपाये मगर हकिकत तो यह है कि जंगल राज में सभी राजा बन बैठे हैं। लगता है फिल्म गंगाजल का असर लोगों पर ज्यादा हो रहा है। पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहे और लोग ही न्याय करते रहे।
बिहार की वो खबर से जो मानवता के नाम पर कलंक है। यहां एक लड़की को सरेआम अधनंगा कर दिया गया। लोग देखते रहे। अभी तक इस मामले में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्रवासन दिए जा रहे हैं। बिहार विधानसभा में आज जमकर बवाल हुआ। सिर्फ लोगों को सस्पेंड किया गया।
देश का ये शर्म पूरी दुनिया ने देखा। हिंदुस्तान की सड़क पर सैकड़ों हजारों लोगों के सामने एक महिला का चीर हरण हुआ। लोग नपुंसक बन गए।
ऐसी शर्मनाक घटना जिसकी कल्पना भी रूह कंपा दे। ऐसी घिनौनी हरकत जिस देखकर इंसान होने पर शर्म आए। ऐसी विकृत मानसिकता जिस पर उबकाई आए। लेकिन इस शर्म से सिर्फ पटना, बिहार ही नहीं पूरा देश रुबरु हुआ। भीड़ एक महिला का तमाशा बनाती रही। एक सनकी महिला के कपड़े खींचता रहा। तबतक जबतक वो अधनंगी नहीं हो गई। लेकिन तमाशा चलता रहा। चलता रहा। न पुलिस, न समाज के ठेकेदार, न आम लोग। किसी की आत्मा नहीं कलपी। इस महिला को बचाने के लिए कोई कृष्ण नहीं आया। और अब जबकि ये मामला पूरे देश के सामने आ गया है इस पर कार्रवाई शुरु हो चुकी है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांग ली है। राज्य महिला आयोग भी अब तेजी दिखाने लगी। जबकि इलाके के थाने के एक एएसआई को निलंबित किया जा चुका है। महिला के साथ बदसलूकी करने वाले लड़के को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन इन लोगों का क्या होगा। जो इस पूरे मौके का फायदा उठा रहे थे। पुलिस ने भीड़ में मौजूद कई हैवानों को न तो अभी तक हिरासत में लिया है और नही गिरफ्तार किया है। लेकिन मुंख्यमंत्री नीतीश कुमार दावा कर रहे हैं कि कार्रवाई हो रही है।
तो क्या केवल पुलिस वालों को सस्पेंड कर देना ही कार्रवाई है। आखिर भीड़ में शामिल लोगों पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इतने देर तक ये तमाशा चलता रहा तो उसकी गाज सिर्फ एक पुलिस वाले पर क्यों गिरी। क्या कानून व्यस्था की जिम्मेदारी पूरे थाने पर नहीं है। बहरहाल अब विपक्ष में भी इस मुद्दे पर अपने हाथ आजमाने शुरु कर दिया है। विपक्षी नेताओं ने बिहार विधान सभा और विहार विधान परिषद के बाहर जमकर हंगामा किया। खास तौर से महिलाओं ने अपना जोरदार विरोध दर्ज करवाया।
इस शर्मनाक घटना ने बिहार में गुस्से की लहर दौड़ा दी है। आरजेडी के कार्यकर्ताओं ने भी अपना गुस्सा जाहिर किया। हैरानी की बात। सैकड़ों हजारों लोगों के सामने ये वाकया हुआ। लेकिन उस वक्त कोई नजर नहीं आया। सब तमाशबीन बने रहे। लेकिन अब इसपर राजनीति की रोटियां सेकने में मशगूल हैं। इन सब के बीच उस लड़की का हाल चाल जानने तक कोई नहीं पहुंचा। नहीं किसी घावों पर मरहम लगाने की कोशिश की। ये बिहार की ही नहीं देश के कई हिस्सों की सच्चाई है। बिहार में तो ये सच्चाई सिर्फ अधनंगी हुई। जिसे लोगों ने कुछ देर के मनोरंजन का साधन बना लिया।
अत्याचार का ये तमाशा रुका नहीं, गुरुवार को जो हुआ वो सबने देखा। पटना में आज फिर एक शर्मनाक घटना घटी। फर्क सिर्फ इतना था कि पिटने वाली बदल गई थी, अबकी बार बारी थी एक बुजुर्ग महिला की। पीटने वाले भी पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं थीं। इस बार भी पुलिस की नाकामी साफ नजर आई। जब महिला की पिटाई हो रही थी तो उस वक्त मीडिया तो वहां थी लेकिन पुलिस नहीं थी।
पटना एक शर्म से उबरा भी नहीं था। कि उसे दूसरे शर्म ने घेर लिया। पहले सरेआम एक लड़की का चीरहरण कर पुरुषों ने इंसानियत को हरा कर जीत हासिल की। फिर भला महिलाएं भी क्यों पीछे रहे। देखिए किस उम्र की महिला पर सरेआम वो अपना हाथ आजमा रही है।
हैरत और शर्म से भरी हुई ये महिला पिटती जा रही है। लोगों ने इस परे आरोप लगाया है कि इसने मंदिर से चोरी की है।
ये महिला मंदिर के एक पास के एक मुहल्ले में रहने वाली है। हैरत की बात है महिला के पिटते वक्त मीडिया पहुंच गई लेकिन पुलिस वहां नहीं पहुंची। इस महिला की सरेआम बेइज्जती। पटना को शर्मसार करने वाली एक और घटना।
आखिर क्या कहेंगे इसे आप। अगर इस महिला ने चोरी की है तो उसे कानून के हवाले करना चाहिए। या फिर खुद अपने हाथों से ही उसे इंसाफ देने लग जाना चाहिए। जो नजर आ रहा है क्या वही है समाज। क्या यही है सभ्यता।
आप ही बताइये नीतीश जी। आप के सुशासन में ये क्या हो रहा है। मीडिया पहुंच जाती है लेकिन पुलिस वाले नहीं पहुंचते। आखिर क्यों। क्या आप के राज में महिलाओं के साथ ऐसा ही व्यवहार होता रहेगा।
मुख्यमंत्री से जब इस बारे में बात की की गई तो वो भी वही रटेरटाए बयान दे पल्ला झाड़ लिया। नीतीश कुमार का कहना था कि दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा, स्पीडी ट्रायल के माध्यम से जल्द से जल्द कारवायी होगी।
लेकिन असलियत तो ये है कि लोगों को पुलिस और कानून पर कोई भरोसा ही नहीं रह गया है। इसलिए उन्हें कानून अपने हाथ में लेने में मजा आने लगा है। इसलिए पहले जरुरत है कि पहले पुलिस और कानून में लोगों का भरोसा बढ़ाना होगा। लोगों में पुलिस और कानून का डर जताना होगा। तब कहीं जाकर ऐसी घटनाएं रुकेंगी। नहीं तो ये होता रहेगा। और बयानों का दौर चलता रहेगा। स्पीडी ट्रायल के माध्यम से कुछ चंद लोगो को सजा दिलाकर बिहार के मुख्यमंत्री भले ही अपना पीठ खुब थप-थपाये मगर हकिकत तो यह है कि जंगल राज में सभी राजा बन बैठे हैं। लगता है फिल्म गंगाजल का असर लोगों पर ज्यादा हो रहा है। पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहे और लोग ही न्याय करते रहे।
हम ये नहीं कबूलते कि
ये हिंदुस्तान सवा अरब लोगों का मुल्क है लेकिन यहां इंसान सच का सामना करने से कतराता है
हम ये नहीं कबूलते कि
हमारे यहां सड़ी गली परंपराएं आज भी जिंदा हैं - आज भी सड़क पर हजारों लोगों के सामने एक महिला का चीरहरण हो जाता है और तमाशा देखते इंसान नपुंसक बने रहने में अपनी भलाई समझते हैं।
हम ये नहीं कबूलते कि
सड़क पर आज भी उन्माद में डूबी भीड़ के सामने दादी की उम्र की एक महिला को थप्पड़ जड़े जाते हैं - भीड़ देखती है और पिटाई के लिए और उकसाती है -
हम ये क्यों नहीं कबूलते कि
आज भी कौड़ियों के मोल खाकी वर्दी का ईमान बिक जाता है - वो जिस इंसान की सुरक्षा के लिए थी उसके सामने उसी इंसान की पीट पीट कर हत्या कर दी जाती है, सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने प्यार किया
इसे कबूलने के लिए जिगर चाहिए
कि समाज के नियमों को तोड़ने की सजा आज भी मौत है, समाज के अहंकार को ललकारने वाले बेटे को बचाने के लिए उसकी मां मौत से टकरा जाती है, अपने बेटे की ओर चलाई गई गोली वो अपने सीने पर खाकर मर जाती है
क्या हम इस सच का सामने करेंगे
कि आज भी इस मुल्क में मोहब्बत गुनाह समझी जाती है और अगर मोहब्बत करने वाले कानून की शरण में जाते हैं तो उनका गुनाह और भी बढ़ जाता है - भगवा गुंडों के आगे सब गूंगे बहरे बन जाते हैं
इस जंगलराज के आगे सब बेबस क्यों बन जाते हैं
जहां बेहूदी परंपराएं नासूर की तरह सड़ती गलती रहती हैं और हम उन्हें धर्म की तरह आंख मूंद कर सिर्फ और सिर्फ निभाते रहते हैं - इंसानी रिश्तों को गले का फंदा बना कर डाल दिया जाता है और प्रेमी जोड़े का सिर मूंड दिया जाता है
ये मायानगरी ही है जहां
भरोसे का बलात्कार होता है, कैमरे पर कैद होता है एक खौफनाक सच -
हम क्यों नहीं कबूल लेते कि इंसानों के बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इंसान कहलाने लायक नहीं, वो भेड़िये हैं - जो सिर्फ नोचना जानते हैं
यही है सच - सवा अरब हिंदुस्तानियों के बीच में कांटों की तरह उगा हुआ सच
हम ये नहीं कबूलते कि
हमारे यहां सड़ी गली परंपराएं आज भी जिंदा हैं - आज भी सड़क पर हजारों लोगों के सामने एक महिला का चीरहरण हो जाता है और तमाशा देखते इंसान नपुंसक बने रहने में अपनी भलाई समझते हैं।
हम ये नहीं कबूलते कि
सड़क पर आज भी उन्माद में डूबी भीड़ के सामने दादी की उम्र की एक महिला को थप्पड़ जड़े जाते हैं - भीड़ देखती है और पिटाई के लिए और उकसाती है -
हम ये क्यों नहीं कबूलते कि
आज भी कौड़ियों के मोल खाकी वर्दी का ईमान बिक जाता है - वो जिस इंसान की सुरक्षा के लिए थी उसके सामने उसी इंसान की पीट पीट कर हत्या कर दी जाती है, सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने प्यार किया
इसे कबूलने के लिए जिगर चाहिए
कि समाज के नियमों को तोड़ने की सजा आज भी मौत है, समाज के अहंकार को ललकारने वाले बेटे को बचाने के लिए उसकी मां मौत से टकरा जाती है, अपने बेटे की ओर चलाई गई गोली वो अपने सीने पर खाकर मर जाती है
क्या हम इस सच का सामने करेंगे
कि आज भी इस मुल्क में मोहब्बत गुनाह समझी जाती है और अगर मोहब्बत करने वाले कानून की शरण में जाते हैं तो उनका गुनाह और भी बढ़ जाता है - भगवा गुंडों के आगे सब गूंगे बहरे बन जाते हैं
इस जंगलराज के आगे सब बेबस क्यों बन जाते हैं
जहां बेहूदी परंपराएं नासूर की तरह सड़ती गलती रहती हैं और हम उन्हें धर्म की तरह आंख मूंद कर सिर्फ और सिर्फ निभाते रहते हैं - इंसानी रिश्तों को गले का फंदा बना कर डाल दिया जाता है और प्रेमी जोड़े का सिर मूंड दिया जाता है
ये मायानगरी ही है जहां
भरोसे का बलात्कार होता है, कैमरे पर कैद होता है एक खौफनाक सच -
हम क्यों नहीं कबूल लेते कि इंसानों के बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इंसान कहलाने लायक नहीं, वो भेड़िये हैं - जो सिर्फ नोचना जानते हैं
यही है सच - सवा अरब हिंदुस्तानियों के बीच में कांटों की तरह उगा हुआ सच
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