गंगा के सामनेघाट के पास बढ़ रहे बालू के टीले की ऊंचाई ने रामनगर किले को कटान के खतरे की जद में ला खड़ा किया है। राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, राउरकेला से नदी (गंगा) और बालू के बीच संबंधों पर अध्ययन करने आए शोध छात्र रवि गेड़ा, गोपाल साउ, रोशन कुमार का यही कहना है। यहां पीपा पुल के माध्यम से गंगा की बदलती चौड़ाई, नदी की गहराई, उसका वेग और बालू जमाव प्रक्रिया का तकरीबन 20 दिनों तक गहन अध्ययन के बाद बीएचयू के गंगा अन्वेषण केंद्र में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में छात्रों ने कहा है कि रामनगर किला के निकट गंगा की गहराई बढ़ती जा रही है। सामनेघाट पर नदी की गहराई जहां 1.2 मीटर है वहीं उस पार किला के निकट इसकी गहराई 3.61 मीटर हो गई है। बीच में बालू का टीला है जिसकी चौड़ाई 150 मीटर है। इस टीले के पहले सामनेघाट पर नदी की चौड़ाई 145 मीटर है जबकि बालू के टीले के बाद रामनगर तक नदी की चौड़ाई 350 मीटर है। इसका मतलब यह हुआ कि किला अधिकतम मृदाक्षरण के क्षेत्र में है और इसकी गहराई सतही जल की अधिकतम तीव्रता को दर्शाता है।
नदी का सिद्धांत कहता है कि सतही जल का वेग, नदी की गहराई और भूमिगत जल का रिसाव एक साथ-एक जगह पर हो वह सबसे ज्यादा कटाव क्षेत्र मियड्रींग जोन होता है। रामनगर के निकट भी तीनों प्रक्रिया तेजी से जारी है। बीच गंगा में बालू का जमाव जैसे-जैसे बढ़ता जाएगा किले के निकट गहराई बढ़ती जाएगी। इसके लिए वे कछुआ सेंचुरी के चलते बालू खनन पर रोक को मुख्य कारण मानते हैं।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी में गंगा तट पर पूर्वी छोर पर स्थित रामनगर किला काशी के राजाओं का निवास रहा है। यहां संग्रहालय भी है जिसमें हाथी के स्वर्ण, रजत के हौदे, राजसी पोशाक के साथ ही पुराने अस्त्र-शस्त्र हैं। लगभग 25 एकड़ आयताकार क्षेत्र में स्थित किला में चकिया, अहरौरा और चुनार की पहाड़ियों से लाए गए पत्थरों का प्रयोग किया गया। इस किले को देखने के लिए देशी-विदेशी पर्यटक रोज काफी संख्या में पहुंचते हैं।
शोधार्थियों ने सामनेघाट के निकट बालू के टीले की बढ़ती चौड़ाई और दो धाराओं में बटती जा रही गंगा को देखने के बाद अपनी रिपोर्ट में कछुआ सेंचुरी के बाबत 10 जिज्ञासाएं जाहिर की है।
1-जल के किन-किन रासायनिक अवयवों को कछुआ अपने किन-किन क्रियाकलापों से शुद्ध करता है। अथवा उन्हें कैसे व्यवस्थित करता है?
2-कछुओं का यह क्रिया-कलाप स्थिर पानी में ज्यादा होता है अथवा गतिशील पानी में?
3-संसार के किस गतिशील जल संसाधन को कछुआ शुद्धिकरण पद्धति में शामिल कर सेंचुरी घोषित किया गया?
4-बाढ़ के दिनों में कछुआ अपने उपर लगने वाले गति ऊर्जा की व्यवस्था कैसे कर एक ही स्थान पर एक ही क्षेत्र में रह पाता हैं?
5-गर्मी के दिनों में यदि यह माना जाए कि गंगा का प्रवाह वाराणसी में 6 हजार क्यूबिक फीट प्रति सेकेंड है तो दिन भर में तकरीबन 52 करोड़ घनफीट जल गंगा में प्रवाहित होता है। इसमें महज एक फीसदी ही अवजल मिश्रण का अनुपात माना जाए (वास्तविकता में इससे कहीं अधिक है) तो दिन भर में तकरीबन 52 लाख घनफीट अवजल प्रवाहित होता है। इस जल की मात्रा और कछुओं की संख्या का अनुपात कैसे लगाया जाता है। साथ ही यह कैसे कहा जा सकता है कि गंगा जल को शुद्ध करने के लिए कितने कछुओं की जरूरत होगी?
6-कछुए क्रिया कर जल को शुद्ध करते है तो इस क्रिया की कुछ न कुछ प्रतिक्रिया भी होगी। विज्ञान का सिद्धांत भी है कि जहां क्रिया होगी वहां उसकी प्रतिक्रिया भी होती है। इस कछुआ सेंचुरी के कारण प्रतिक्रिया का आंकलन कभी किया गया?
7-वाराणसी का बालू क्षेत्र कब सेंचुरी घोषित हुआ? तब से अब तक इसका क्या-क्या इंपेक्ट एसेसमेंट हुआ है? इसका आंकलन किसने किया और क्या इसकी रिपोर्ट का प्रकाशन सर्व साधारण तक पहुंचा?
8-सेंचुरी घोषित होने के बाद बालू का खनन बंद हो गया। लोगों ने बताया कि जो जलजीव बराबर गंगा में दिखाई पड़ते थे, विलुप्त हो गए। ऐसा क्यों हुआ। क्या इसकी कभी जांच कराई गई। क्या इसका कारण कछुआ है?
9-बालू क्षेत्र के सेंचुरी घोषित होने से पहले और बाद के वर्षो में गंगा जल की गुणवत्ता की तुलनात्मक जांच कराई गई?
10-गंगा में नदी-नालों और भूमिगत जल द्वारा अवजल आने की मात्रा बढ़ती जा रही है। केंद्रापसारी दबाव (नदी के बीच का वेग) के कारण ये अवजल गंगा के शहरी किनारे पर ही जमा रहते हैं। क्या कछुओं की अधिकतम संख्या गंगा के किनारे होती है? गंगा रिसर्च सेंटर के कोआर्डिनेटर प्रो. यूके चौधरी का कहना है कि शोध छात्रों के जिज्ञासा भरे इन सवालों को भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय को भेजा जा रहा है। जाहिर है जिसने दर्द दिया दवा भी वही देगा!
नदी का सिद्धांत कहता है कि सतही जल का वेग, नदी की गहराई और भूमिगत जल का रिसाव एक साथ-एक जगह पर हो वह सबसे ज्यादा कटाव क्षेत्र मियड्रींग जोन होता है। रामनगर के निकट भी तीनों प्रक्रिया तेजी से जारी है। बीच गंगा में बालू का जमाव जैसे-जैसे बढ़ता जाएगा किले के निकट गहराई बढ़ती जाएगी। इसके लिए वे कछुआ सेंचुरी के चलते बालू खनन पर रोक को मुख्य कारण मानते हैं।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी में गंगा तट पर पूर्वी छोर पर स्थित रामनगर किला काशी के राजाओं का निवास रहा है। यहां संग्रहालय भी है जिसमें हाथी के स्वर्ण, रजत के हौदे, राजसी पोशाक के साथ ही पुराने अस्त्र-शस्त्र हैं। लगभग 25 एकड़ आयताकार क्षेत्र में स्थित किला में चकिया, अहरौरा और चुनार की पहाड़ियों से लाए गए पत्थरों का प्रयोग किया गया। इस किले को देखने के लिए देशी-विदेशी पर्यटक रोज काफी संख्या में पहुंचते हैं।
शोधार्थियों ने सामनेघाट के निकट बालू के टीले की बढ़ती चौड़ाई और दो धाराओं में बटती जा रही गंगा को देखने के बाद अपनी रिपोर्ट में कछुआ सेंचुरी के बाबत 10 जिज्ञासाएं जाहिर की है।
1-जल के किन-किन रासायनिक अवयवों को कछुआ अपने किन-किन क्रियाकलापों से शुद्ध करता है। अथवा उन्हें कैसे व्यवस्थित करता है?
2-कछुओं का यह क्रिया-कलाप स्थिर पानी में ज्यादा होता है अथवा गतिशील पानी में?
3-संसार के किस गतिशील जल संसाधन को कछुआ शुद्धिकरण पद्धति में शामिल कर सेंचुरी घोषित किया गया?
4-बाढ़ के दिनों में कछुआ अपने उपर लगने वाले गति ऊर्जा की व्यवस्था कैसे कर एक ही स्थान पर एक ही क्षेत्र में रह पाता हैं?
5-गर्मी के दिनों में यदि यह माना जाए कि गंगा का प्रवाह वाराणसी में 6 हजार क्यूबिक फीट प्रति सेकेंड है तो दिन भर में तकरीबन 52 करोड़ घनफीट जल गंगा में प्रवाहित होता है। इसमें महज एक फीसदी ही अवजल मिश्रण का अनुपात माना जाए (वास्तविकता में इससे कहीं अधिक है) तो दिन भर में तकरीबन 52 लाख घनफीट अवजल प्रवाहित होता है। इस जल की मात्रा और कछुओं की संख्या का अनुपात कैसे लगाया जाता है। साथ ही यह कैसे कहा जा सकता है कि गंगा जल को शुद्ध करने के लिए कितने कछुओं की जरूरत होगी?
6-कछुए क्रिया कर जल को शुद्ध करते है तो इस क्रिया की कुछ न कुछ प्रतिक्रिया भी होगी। विज्ञान का सिद्धांत भी है कि जहां क्रिया होगी वहां उसकी प्रतिक्रिया भी होती है। इस कछुआ सेंचुरी के कारण प्रतिक्रिया का आंकलन कभी किया गया?
7-वाराणसी का बालू क्षेत्र कब सेंचुरी घोषित हुआ? तब से अब तक इसका क्या-क्या इंपेक्ट एसेसमेंट हुआ है? इसका आंकलन किसने किया और क्या इसकी रिपोर्ट का प्रकाशन सर्व साधारण तक पहुंचा?
8-सेंचुरी घोषित होने के बाद बालू का खनन बंद हो गया। लोगों ने बताया कि जो जलजीव बराबर गंगा में दिखाई पड़ते थे, विलुप्त हो गए। ऐसा क्यों हुआ। क्या इसकी कभी जांच कराई गई। क्या इसका कारण कछुआ है?
9-बालू क्षेत्र के सेंचुरी घोषित होने से पहले और बाद के वर्षो में गंगा जल की गुणवत्ता की तुलनात्मक जांच कराई गई?
10-गंगा में नदी-नालों और भूमिगत जल द्वारा अवजल आने की मात्रा बढ़ती जा रही है। केंद्रापसारी दबाव (नदी के बीच का वेग) के कारण ये अवजल गंगा के शहरी किनारे पर ही जमा रहते हैं। क्या कछुओं की अधिकतम संख्या गंगा के किनारे होती है? गंगा रिसर्च सेंटर के कोआर्डिनेटर प्रो. यूके चौधरी का कहना है कि शोध छात्रों के जिज्ञासा भरे इन सवालों को भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय को भेजा जा रहा है। जाहिर है जिसने दर्द दिया दवा भी वही देगा!