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Varanasi, UP, India
Working with an MNC called Network 18, some call it news channel(IBN7), but i call it दफ्तर, journalist by heart and soul, and i question everything..

July 02, 2009

समलिंगी जिंदाबाद

ये हमारी जीत है। आखिर हमारे देश में भी हमें हमारी तरह से जीने का तोहफा मिल ही गया। ये बयान है मशहूर टीवी अदाकारा या अदाकार बॉबी डॉर्लिंग का। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के समलिंगी या यूं कहें गे रिलेशनशिप को मंजूरी दे दी। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि दो मर्द अगर सहमति से संबंध बनाते हैं तो वो गैरकानूनी नहीं है। अगर इस मामले में धारा 377 के तहत यानी अप्राकृतिक यौनाचार का मामला दर्ज होता है, तो वो संविधान के खिलाफ है। पता हो कि हाईकोर्ट ने ये व्यवस्था दी कि आईपीसी की धारा 377 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का विरोध करती है जो कि किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं होगा। इसका मतलब ये है कि अब समलैंगिक संबंध गैरकानूनी नहीं रहे। यानी अब समलैंगिकता समाज और कानून की नजर में अपराध नहीं रहा। धारा 377 भी भारत में समलैंगिकता पर रोक नहीं लगा सकी है क्योंकि ये दो लोगों की आपसी रज़ामंदी से होता है। कई विकसित देशों में समलैंगिकता को कानूनी दर्जा मिल चुका है और वहां के समाज ने भी इस हकीकत को स्वीकार कर लिया है।

1860 में बनी आईपीसी की धारा 377 के अनुसार समलैंगिकता एक अपराध है और दोषी पाए जाने पर दस साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। समलैंगिक शादी को भी कानूनी मान्यता नहीं है।भारत में लंबे समय से समलैंगिकों को मान्यता दिए जाने के लिए मांग उठ रही है। इसके लिए हर साल समलैंगिक देश के अलग अलग हिस्सों में परेड भी करते हैं।

भारत समेत दुनिया के ज्यादातर देशों में समलैंगिकता पर कानूनी पाबंदी है। जिनमें चीन, ग्रीस, टर्की और इटली जैसे बड़े देश भी शामिल हैं। जबकि ब्रिटेन, Belgium , Canada , holland , South Africa और Spain में समलैंगिकता को कानूनी मान्यता मिल चुकी है। ब्रिटेन में 2000 में ही समलैंगिकता को कानूनी मान्यता दी गई थी। यहां सेना के दरवाज़े भी समलैंगिकों के लिए खुले हैं। ब्रिटेन ने 2005 में समलैंगिक शादी को भी कानूनी मान्यता दे दी। इसके अलावा फ्रांस, स्विटज़रलैंड और जर्मनी ऐसे देश हैं। जहां समलैंगिकता को कानूनी दर्ज़ा तो नहीं मिला। लेकिन इस पर किसी तरह का प्रतिबंध भी नहीं है। अमेरिका में पिछले कई सालों से समलैंगिकता पर कानूनी बहस छिड़ी हुई है। यहां कैलिफोर्निया और मैसाचुसेट्स में इसे मान्यता मिल गई है। लेकिन पूरे देश में इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। इस सब के बीच दुनिया भर में हजारों लोग समलैंगिक अधिकारों को लेकर काफी जागरूक हो रहे हैं।

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