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Varanasi, UP, India
Working with an MNC called Network 18, some call it news channel(IBN7), but i call it दफ्तर, journalist by heart and soul, and i question everything..

August 11, 2009

कोई बचाए हरिजन को

ना बारिश है भींगने को

ना दाना है खाने को

ना पानी है पीने को ना ही सींचने को

सावन निकल गया सूखा

भादो को भी नहीं मलाल

रस्ता भटक गए हैं बादल

सियासत मची है फ्लू पर

पर नहीं ख्याल इस सूखे का

इस खतरे के पार है

बढ़ा एक और खतरा

शहर में मौत फैलाती स्वाइन फ्लू

गांव मरता सूखे से

कौन है खुदा कौन है राम

गर कोई है सृष्टि में

कोई बचाए हरिजन को

2 comments:

Tushar Banerjee said...

bahut jivant kavita likhi hai aapne....isi tarah apne andar ke kavi ko jiya k rakhiye...

Kanhaiya Pandey said...

this was heart touching keep this sprit in side because harijan ke shoshak thakur sahab log hi hai........

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