ना बारिश है भींगने को
ना दाना है खाने को
ना पानी है पीने को ना ही सींचने को
सावन निकल गया सूखा
भादो को भी नहीं मलाल
रस्ता भटक गए हैं बादल
सियासत मची है फ्लू पर
पर नहीं ख्याल इस सूखे का
इस खतरे के पार है
बढ़ा एक और खतरा
शहर में मौत फैलाती स्वाइन फ्लू
गांव मरता सूखे से
कौन है खुदा कौन है राम
गर कोई है सृष्टि में
कोई बचाए हरिजन को
August 11, 2009
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2 comments:
bahut jivant kavita likhi hai aapne....isi tarah apne andar ke kavi ko jiya k rakhiye...
this was heart touching keep this sprit in side because harijan ke shoshak thakur sahab log hi hai........
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