तुम्हारे जैसे हमने देखने वाले नहीं देखे...
जिगर में किस तरह से रंजोगम पाले नहीं देखे...
यहां पर जात मजहब का हवाला सबने देखा है...
किसी ने भी हमारे पांव के छाले नहीं देखे...
मेरी आंखों में आंसू, तुझसे हमदम मैं क्या कहूं क्या है..
ठहर जाए तो अंगारा है, बह जाए तो दरिया है...
किरण चाहो, तो दुनिया के अंधेरे घेर लेते हैं...
मेरी तरह कोई जी ले, तो जीना भूल जाएगा...
कदम उठ नहीं पाते कि रस्ता काट देता है...
मेरे मालिक मुझे,आखिर कब तक आजमाएगा...
अगर टूटे किसी का दिल, तो शब भर आंख रोती है...
ये दुनिया है गुलों की, जिसमे कांटे पिरोती है...
हम अपने गांव में मिलते हैं दुश्मन से भी इठला कर...
तुम्हारा शहर देखा तो बड़ी तकलीफ होती है...
September 20, 2009
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