पाकिस्तान के लाहौर की सबसे मजबूत और सबसे सुरक्षित कहे जानी वाली कोटलखपत जेल में 26 तारीख की शाम चार बजे के आस पास वहां घुसपैठ औऱ जासूसी के आरोपों में बंद सरबजीत सिंह पर उसके ही साथी कैदी ने हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि जब शाम को दिनभर की बंदी के बाद कैदियों को टहलाई के लिए निकाला जाता है तभी ये हमला सरबजीत पर आमिर नाम के कैदी ने कर दिया। पहले तो सरबजीत को जेल के ही अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया लेकिन मामला बिगड़ते देख लाहौर के जिला अस्पताल में ले जाया गया। डॉक्टरों के हाथ पांव फूल गए। चोट इतनी ज्यादा थी कि हालात बेकाबू हो गए थे। फिर जब केस बिगड़ता देखा तो लाहौर के ही जिन्ना अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है। हालत नाजूक बनी हुई है तीन डॉक्टरों की टीम लगातार सरबजीत पर निगाह बनाए हुए हैं। पूरे जिन्ना अस्पताल को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। और यहां तक कि जब सरबजीत को पहली बार होश आया था करीब रात के 10 बजे तब उसके वकील को उससे मिलने नहीं दिया गया। लेकिन अचानक देर रात उसकी हालत बिगड़ी औऱ रात करीब 12 बजे का बाद से ही वो कोमा में हैं।
हमला क्या हुआ पूरे पाकिस्तान में सियापा पसर गया। आनन फानन में जेल के दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनना लाजिमी था। लेकिन सवाल ये कि इनते हाइ प्रोफाइल कैदी पर हमला हुआ कैसे। हाइ सिक्योरिटी जो में एक कत्ल का दोषी कैसे पहुंच गया और उसने कैसे सरबजीत पर हमला कर दिया आब जांच का विषय हो गया है। लेकिन विशेषज्ञ इसमें राजनैतिक साजिश से इनकार नहीं कर रहे हैं। ये भारत सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी लोग भी कह रहे हैं। कल जब मेरी बात सरबजीत के वकील अवैस शेख से हुई तो उन्होंने एक सनसनीखेज खुलासा किया। उन्होंने बताया कि जब अफजल गुरू की फांसी के बाद वो सरबजीत से मिलने गए थे तब उनके साथ एक सीआईडी की अफसर भी गया था। उस वक्त सरबजीत ने शिकायत की थी एक शख्स जेल में उसे मारने की धमकी दे रहा था। आरोप लग रहे हैं जेल प्रशासन पर कि उसने बिलकुल भी सुरक्षा की व्यवस्था नहीं की थी। वो भी तब जब सरबजीत ने लगातार अपनी सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए और पाकिस्तान हुक्मरानों को शिकायत भी दर्ज कराई थी।
पाकिस्तान के बारे एक बात साफ देता चलूं कि पाकिस्तान की राजनीति पूरी तरह के भारतीय केंद्रित है। वो भारत के दम पर सत्ता हासिल करते हैं। चाहे वो भुट्टो रहे हों या मुशर्रफ जैसे तानाशाह। सारा दारोमदार चुनाव जीतने का एंटी भारत कारनामों पर ही होता है। इस साल पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं। पहली बार कहने को ये चुनाव साफ सुथरा करने की कोशिश जारी है। लेकि नसवाल ये है कि आखिर कब तक पाकिस्तान की राजनीति एंटी भारत बनी रहेगी।
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