June 24, 2009
सरबजीत को फांसी की सजा बरकरार
सरबजीत सिंह को आज पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी। इससे सरबजीत को काफी धक्का लगा है। भारत सरकार पिछले कई दिनों से सरबजीत को छुड़ाने के प्रसास कर रही थी। भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह जिन्हें मनजीत सिंह के रूप में भी जाना जाता है पाकिस्तान के कोट लखपत जेल में बंद है। उनके ऊपर 1990 में लाहौर और मुलतान में सिलसिलेवार बम धमाके करवाने का आरोप है। इन बम धमाकों में आधिकारिक तौर पर 14 लोगों की मौत हो गई थी। सरजीत का कहना है कि वो केवल एक किसान है। जो कि पाक सीमा के पास के गांव में रहता है। सरबजीत को उनके पहले के इकबालिया बयान के मद्देनजर एंटी टेररिस्ट कोर्ट मे 1991 को सजा-ए-मौत सुनाई गई थी। इस सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हालांकि हाईकोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सजा को कायम रखा। राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने मार्च 2006 को उनकी माफी की याचिका ठुकरा दी थी। पाकिस्तान ने सरबजात को फांसी की सजा को भारतीय अनुरोध के बावजूद बरकरार रखा गया है। सरबजीत को 29 अप्रैल 2008 को फांसी की सजा सुनाई गई थी। वो पिछले 18 साल से लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है। आज जब पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में सरबजीत की अर्जी खारिज हुई, तब सरबजीत के वकील अदालत में मौजूद नहीं थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाजिर रहने को कहा था।
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